दुर्घटना दावों में अब बीमा कम्पनी से अदालत से बाहर किया जा सकेगा समझौता

नई दिल्ली : किसी दुर्घटना में अगर बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है या वह घायल हो जाता है तो अब ऐसे मामलों में मुआवजा लेना आसान होगा.पीड़ित पक्ष और  बीमा  कंपनी आपस में मामला सुलझा सकते हैं. इससे वादी पक्ष को जल्‍द ही मुआवजा मिल जाएगा और उन्‍हें इसके लिए अदालत में लम्बा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.नए मोटर व्हीकल एक्ट में यह संशोधन किया गया है.

उल्लेखनीय है कि मोटर व्‍हीकल अमेंडमेंट एक्‍ट, 2016 में यह प्रावधान किया गया है कि दुर्घटना के मामले में मुआवजे के लिए वादी और बीमा कंपनी आपस में बातचीत कर मामले में समझौता कर सकते हैं.इसके बाद दोनों पक्ष को अदालत को इस बात की लिखित जानकारी देना होगी की मामले में समझौता किया जा चुका है.यदि पीड़ित पक्ष संतुष्ट नहीं होता है तो वह अदालत भी जा सकता है.इससे दुर्घटना में पीड़ित पक्ष को जल्‍द मुआवजा मिल जाएगा, वहीं बीमा कंपनी को भी लाभ होगा. फ़िलहाल इन्‍श्‍योरेंस कंपनियों को थर्ड पार्टी मोटर बीमा पॉलिसी के मामले में एक निश्चित रकम रिजर्व रखनी होती है.ऐसे में बीमा कंप‍नी इस राशि को कहीं निवेश भी नहीं कर सकती और उसे आर्थिक तौर पर नुकसान होता है .

इस बारे में आईसीआईसीआई लोम्‍बार्ड जनरल इन्‍श्‍योरेंस के चीफ, अंडरराइटिंग एंड क्‍लेम, संजय दत्‍ता ने बताया कि एक्‍ट में किए गए प्रावधान के तहत अब दुर्घटना के मामले में बीमा कंपनियां और पीड़ित पक्ष आपस में समझौता कर सकते हैं. पीड़ित पक्ष अगर इस समझौते से संतुष्ट नहीं होता तो वह अदालत जा सकता है. वहीं ओरिएंटल इन्‍श्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड के पूर्व डीजीएम एनके सिंह ने कहा कि पहले दुर्घटना के मामलों को बीमा कंपनियां कोर्ट के दखल के बिना समझौता नहीं कर सकती थीं.

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