वैज्ञानिक दृष्टि से अगर दिन रात की बात करें तो इसका सम्बध सूर्य और पृथ्वी से है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण ही दिन-रात का चक्र जारी रहता है। वंही अगर ज्योतिषशास्त्र की बात करें तो यह भी इसके लिए सूर्य को ही प्रभावि मानते हैं। सूर्य के माध्यम से ही इस ब्रम्हाण्ड में दिन रात का चक्र निरंतर जारी रहता है। श्रीमदभागवत पुराण में श्री शुकदेव जी के अनुसार भूलोक तथा द्युलोक के मध्य में अन्तरिक्ष लोक है। इस द्युलोक में सूर्य भगवान नक्षत्र तारों के मध्य में विराजमान रह कर तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं। उत्तरायण, दक्षिणायन तथा विषुक्त नामक तीन मार्गों से चलने के कारण कर्क, मकर तथा समान गतियों के छोटे, बड़े तथा समान दिन रात्रि बनाते हैं। जब भगवान सूर्य मेष तथा तुला राशि पर रहते हैं, तब दिन रात्रि समान रहती हैं। जब वे वृष, मिथुन, कर्क, सिंह और कन्या राशियों में रहते हैं तब क्रमशः रात्रि एक-एक मास में एक-एक घड़ी बढ़ती जाती है और दिन घटते जाते हैं। जब सूर्य वृश्चिक, मकर, कुम्भ, मीन और मेष राशि में रहते हैं, तब क्रमशः दिन प्रति मास एक-एक घड़ी बढ़ता जाता है तथा रात्रि कम होती जाती है। भारतीय ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य से सम्बन्धित नक्षत्र कृतिका उत्तराषाढा और उत्तराफ़ाल्गुनी हैं। यह चक्र की पांचवीं राशि सिंह का स्वामी है। सूर्य पिता का प्रतिधिनित्व करता है, सूर्य का अयन 6 माह का होता है। 6 माह यह दक्षिणायन यानी भूमध्य रेखा के दक्षिण में मकर वृत पर रहता है, और 6 माह यह भूमध्य रेखा के उत्तर में कर्क वृत पर रहता है। यह पुरुष गृह है। इससे आयु की गणना 50 साल मानी जाती है। जिनकी कुंडली में सूर्य अष्टम घर में होता है, जो मृत्यु स्थान से सम्बन्धित है उनकी मौत आग से मानी जाती है। सूर्य सप्तम दृष्टि से देखता है। सूर्य की दिशा पूर्व है। सबसे अधिक बली होने पर यह राजा का कारक माना जाता है। सूर्य के मित्र चन्द्र मंगल और गुरु हैं। शत्रु शनि और शुक्र हैं। समान देखने वाला गृह बुध है। ये आसन जो करता है भगवान सूर्य को साक्षात नमन बहुत ही कारगर है शीघ्र विवाह के लिए यह उपाय वैशाख माह में इन त्योहारों का होने वाला है आगमन इन्दौर के खजराना में स्थित है भगवान गणेश का भव्य मंदिर