आप सभी जानते ही हैं कि सभी जगह माघ शुक्ल सप्तमी मंगलवार 12 फरवरी को भगवान भास्कर की जयंती सूर्य सप्तमी मनाई जा रही है. ऐसे में इस सप्तमी को अचला सप्तमी भी कहते हैं. कहा जाता है इस दिन मंदिरों में विशेष पूजन किए जाते हैं और धर्मशास्त्रों में माघ सप्तमी पर भगवान सूर्य का आर्विभाव दिवस बताया जा चुका है. ऐसे में माघ सप्तमी को सूर्य की जयंती के साथ अचला सप्तमी के रूप में भी पुकारा जाता है और इस दिवस पर व्रत (नमक रहित भोजन) और गंगा स्नान करने की बड़ी महिमा मानी गई है. इस दिन गुड़ का सेवन करते हैं और ज्योतिषों के अनुसार माघ शुक्ल सप्तमी तिथि पर इस बार कृतिका व भरणी नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. कहते हैं यह संयोग सात साल के बाद बन गया है और इसी तिथि को ही भगवान भास्कर ने पहली बार प्रकाश प्राप्त किया था. ऐसे में इसे भानू सप्तमी, अचला सप्तमी और पुत्र सप्तमी भी कहते हैं वहीँ भविष्य पुराण में इसे पूरे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस दिन चावल, तिल, दूर्वा, चंदन व इत्र जल में मिलाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देंना चाहिए और महालक्ष्मी योग में पूजा करनी चाहिए. कहते हैं सूर्य सप्तमी पर महालक्ष्मी व रुचक योग का भी संयोग बन रहा हैं इस कारण से चंद्रमा व मंगल की युति से महालक्ष्मी बनेगा अन्यथा जो कहा जाएगा वह सत्य होगा. आरोग्य रहने के लिए करें रथ सप्तमी व्रत रथ सप्तमी के व्रत रखने से होते हैं बड़े लाभ, जानिए यहाँ