नई दिल्ली: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP), केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ अब आरपार के मूड में नज़र आ रही है। इसको लेकर AAP ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आज रामलीला मैदान में महारैली करने का ऐलान किया है। AAP ने इस रैली में संविधान बचाने को लेकर बड़ी तादाद में लोगों से रामलीला मैदान पहुंचने का आग्रह किया है। पार्टी ने दावा किया है कि ‘महा रैली’ में एक लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है। सीएम केजरीवाल ने भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर “अधिकार छीनने” का इल्जाम लगाया है और कहा है कि देश के लोकतंत्र पर भी हमला किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, केजरीवाल ने शनिवार को ट्वीट में लिखा कि, ‘दिल्ली की जनता के अधिकारों को छीनने वाले केंद्र सरकार के तानाशाही अध्यादेश के ख़िलाफ़ कल दिल्ली के लोग रामलीला मैदान में एकजुट होंगे। संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए हो रही इस महारैली में आप भी ज़रूर आएं।’ उल्लेखनीय है कि, यह वही रामलीला मैदान है, जहां 2012 में अन्ना हजारे और केजरीवाल ने भ्रष्टाचार विरोध आंदोलन किया था। हालाँकि, उस समय तक समाजसेवी हज़ारे और केजरीवाल कहते थे कि, वो राजनीति में नहीं आएँगे और न ही कोई सियासी दल बनाएंगे, लेकिन उसी साल नवंबर में AAP का गठन हुआ था। AAP ने 2013 में विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के समर्थन से सरकार का गठन भी कर लिया। हालांकि, केजरीवाल ने 49 दिनों के अंदर ही पद से इस्तीफा दे दिया। 2015 में जब दिल्ली में फिर से वोटिंग हुई, तो AAP ने राज्य की 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। अब कांग्रेस यहाँ ख़त्म हो चुकी थी, जिसने पहली बार AAP को समर्थन देकर केजरीवाल को सीएम बनाया था। अब केजरीवाल केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों से समर्थन मांग रहे हैं और कांग्रेस ने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। यह महारैली आज सुबह 10 बजे शुरू होगा और केजरीवाल के दोपहर में सभा को संबोधित करने की संभावना है। AAP के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, पंजाब के सीएम भगवंत मान भी रैली में शामिल होंगे। क्या है दिल्ली सरकार और अध्यादेश मामला:- बता दें कि, 11 मई के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसफर-पोस्टिंग सहित सेवा मामलों से जुड़े सभी कामकाज पर दिल्ली सरकार का कंट्रोल बताया था। वहीं, जमीन, पुलिस, और पब्लिक ऑर्डर के अलावा सभी विभागों के अफसरों पर केंद्र सरकार को कंट्रोल दिया गया था। ये पॉवर मिलते ही, केजरीवाल सरकार ने दिल्ली सचिवालय में स्पेशल सेक्रेट्री विजिलेंस के आधिकारिक चैंबर 403 और 404 को सील करने का फरमान सुना दिया और विजिलेंस अधिकारी राजशेखर को उनके पद से हटा दिया था। लेकिन, केंद्र सरकार अध्यादेश ले आई और फिर राजशेखर को अपना पद वापस मिल गया। इसके बाद पता चला कि, दिल्ली शराब घोटाला और सीएम केजरीवाल के बंगले पर खर्च हुए करोड़ों रुपए की जांच राजशेखर ही कर रहे थे। उन्हें पद से हटाए जाने के बाद उनके दफ्तर में रखी फाइलों से छेड़छाड़ किए जाने की बात भी सामने आई थी। एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमे राजशेखर के दफ्तर में आधी रात को 2-3 लोग फाइलें खंगालते हुए देखे गए थे। ऐसे में कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और अजय माकन द्वारा कहा जा रहा है कि, केजरीवाल इस अध्यादेश का विरोध दिल्ली की जनता के लिए नहीं, बल्कि खुद को बचाने के लिए कर रहे हैं। साथ ही इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस से केजरीवाल का साथ न देने की अपील की है। 'पीएम मोदी के ये 9 वर्ष, भारत को सुरक्षित करने के 9 वर्ष हैं..', महाराष्ट्र में बोले अमित शाह 'चाहे पीएम मोदी हों या अमित शाह..', सीएम गहलोत बोले- राजस्थान में कांग्रेस ही जीतेगी 'हमने उद्धव ठाकरे को बड़ा भाई माना था, लेकिन..', महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले का बड़ा बयान