कोच्ची: केरल में I.N.D.I.A. गठबंधन के दो सहयोगी दल कांग्रेस और CPI (M), अडानी समूह द्वारा निर्मित भारत के नए विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह (Vizhinjam International Port) का श्रेय लेने को लेकर खींचतान में उलझे हुए हैं। भारत के पहले गहरे पानी के कंटेनर ट्रांसशिपमेंट, विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह का कल यानी 15 अक्टूबर को ही उद्घाटन हुआ है और सीएम पिनरई विजयन ने इसके पहले जहाज को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया है। इससे केरल के बुनियादी ढांचे में क्रांति आने की उम्मीद है। लेकिन, इसको लेकर CPIM और कांग्रेस के बीच क्रेडिट वॉर शुरू हो चुका है, दोनों दल अडानी ग्रुप द्वारा बनाए गए इस बंदरगाह का क्रेडिट अपने-अपने नेताओं को दे रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) बंदरगाह का नाम पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के नाम पर रखने पर जोर दे रहा है और दावा कर रहा है कि इसका श्रेय उन्हें ही जाता है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) का तर्क है कि बंदरगाह की नींव पूर्व वामपंथी मुख्यमंत्री ईके नयनार के कार्यकाल के दौरान रखी गई थी। गौर करने वाली बात ये भी है कि, कांग्रेस और CPIM दोनों भाजपा के खिलाफ बनाए गए 26 विपक्षी दलों के गठबंधन के सदस्य हैं। श्रेय के लिए यह विडंबनापूर्ण स्थिति इस तथ्य के बावजूद पैदा हुई है कि दोनों पार्टियों ने अलग-अलग समय पर बंदरगाह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है और अडानी की भागीदारी की आलोचना की है। राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी, अडानी समूह की कट्टर आलोचक रही है, और अक्सर उन पर हेराफेरी का आरोप लगाती रही है। हालाँकि, LDF (CPIM गठबंधन) का दावा है कि UDF (कांग्रेस गठबंधन) ने सत्ता में रहने के समय अडानी समूह के साथ एक समझौता किया था, जो अडानी समूह को बंदरगाह से महत्वपूर्ण लाभ कमाने की अनुमति देगा, लेकिन उससे राज्य को केवल एक नगण्य हिस्सा मिलेगा। CPIM नेता गोविन्द ने कहा कि, 'कांग्रेस गठबंधन वाली सरकार द्वारा किए गए समझौते के कारण, केरल को बंदरगाह (संचालन) से लाभ का केवल एक प्रतिशत मिलता, वह भी 15 वर्षों के बाद। (कांग्रेस के कारण) सरकार ने बंदरगाह चलाने का मौका खो दिया।' CPIM के राज्य सचिव गोविन्द ने आरोप लगाया कि UDF (कांग्रेस गठबंधन) ने केंद्र की भाजपा सरकार के दबाव में अडानी समूह के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हालाँकि, कांग्रेस इन आरोपों से इंकार कर रही है, लेकिन अडानी द्वारा बनाए गए बंदरगाह का क्रेडिट भी चाहती है। राहुल गांधी संसद से लेकर सड़क तक अडानी को चोर बताने की कोशिश करते रहते हैं। CPIM नेता एमवी गोविंदन ने तर्क दिया है कि परियोजना की नींव (CPIM नेता) ईके नयनार के कार्यकाल के दौरान रखी गई थी और वीएस अच्युतानंदन के शासन के दौरान इसे और विकसित किया गया था, उसी समय बुनियादी ढांचे का काम पूरा हुआ था। गोविंदन ने कहा है कि जब UDF (कांग्रेस) सरकार ने सत्ता संभाली, तो उसने इस परियोजना को अडानी समूह को सौंप दिया, और प्रभावी रूप से इसके विकास में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई। हालाँकि, कांग्रेस के अपने आरोप हैं, उनका कहना है कि LDF (CPIM सरकार) ने परियोजना के हिस्से के रूप में चांडी सरकार द्वारा मछुआरों के लिए घोषित पुनर्वास पैकेज को विफल कर दिया। कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने कहा कि जब LDF विपक्ष में थी, तो पिनाराई विजयन ने 5000 करोड़ रुपए की परियोजना में 6000 करोड़ रुपए के रियल एस्टेट घोटाले का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि अब वही पिनाराई विजयन, जो अब सीएम हैं, बंदरगाह का श्रेय ले रहे हैं। विडंबना यह है कि केरल युवा कांग्रेस ने विझिंजम सीपोर्ट लिमिटेड का नाम बदलकर "ओम्मेन चांडी इंटरनेशनल सी पोर्ट" करने का एक बोर्ड भी लगा दिया है, जो चल रहे विवाद को उजागर करता है। बता दें कि, तिरुवनंतपुरम के पास स्थित विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह, भारत का पहला गहरे पानी वाला बंदरगाह है जिसे बड़े कंटेनर जहाजों को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे कोलंबो बंदरगाह के माध्यम से ट्रांसशिपमेंट की भारत की जरूरत समाप्त हो गई है। इसका काफी रणनीतिक महत्व भी है, क्योंकि यह वैश्विक स्तर पर सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों में से एक पर स्थित है, जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख ट्रांसशिपमेंट केंद्र बनने की क्षमता है। अब अडानी को ठेका, कांग्रेस ने दिया या CPIM ने, इसकी लड़ाई तो दोनों सियासी दल लड़ ही रहे हैं, लेकिन इस बंदरगाह के बनने से भारत का काम आसान हो गया है, ये तय है। अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड ने बंदरगाह को विकसित करने के लिए केरल राज्य सरकार के साथ साझेदारी की। बंदरगाह उद्योग में गौतम अडानी के बढ़ते कदम और उनके अडानी समूह की भागीदारी भारतीय राजनीति में विवाद का विषय रही है, विपक्षी दल खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार उनकी व्यावसायिक गतिविधियों पर सवाल उठाते रहे हैं। आलोचनाओं के बावजूद, अडानी पोर्ट्स का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार जारी है, जिसमें इज़राइल और वियतनाम जैसे अन्य देशों में बंदरगाह विकसित करने की योजना है। आज जंतर-मंतर पर 'इजराइल' के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का प्रदर्शन, हमास के 'आतंकी' कृत्यों की कोई निंदा नहीं ! भारत के ही द्वीप से 27 भारतीयों को पकड़ ले गया श्रीलंका ! जानिए कच्चाथीवू द्वीप का इतिहास ? वो 5 मौके, जब भारत के मुश्किल वक्त में 'सच्चा दोस्त' बनकर मदद करने आया इजराइल !