इलाहाबाद: विवादास्पद फिल्म ‘आदिपुरुष’ में जिस तरह से महाकाव्य रामायण के प्रमुख पात्रों को चित्रित किया गया है, उस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को गंभीर चिंता जताई है। न्यायालय ने कहा, "हिंदू सहिष्णु हैं लेकिन हर बार उनकी ही परीक्षा क्यों ली जाती है।’’ पीठ ने इस दलील को मानने से मना कर दिया कि फिल्म के ‘डिस्क्लेमर’(घोषणा) में बताया गया था कि यह फिल्म रामायण नहीं है। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान एवं न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘जब फिल्मनिर्माता ने प्रभु श्री राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण और लंका दिखाया है तो डिसक्लेमर से कैसे व्यक्तियों को संतुष्ट करेंगे कि कहानी रामायण से नहीं ली गई है। बुधवार को खंडपीठ ने मामले को पुनः सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश देते हुए, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल को केंद्र सरकार एवं सेंसर बोर्ड से निर्देश प्राप्त कर यह अवगत कराने को कहा है कि मामले में वे क्या कार्रवाई कर सकते हैं। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा, "हिंदू सहिष्णु हैं किन्तु क्यों हर बार उनकी सहनशीलता की परीक्षा ली जाती है, वे सभ्य हैं तो उन्हें दबाना सही है क्या? ’’ पीठ ने याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील रंजना अग्निहोत्री का तर्क सुनने के पश्चात् मौखिक टिप्पणी की, जिस प्रकार से फिल्म बनाई गई है, "यह न सिर्फ उन लोगों की भावनाओं को आहत करेगी जो प्रभु श्री राम, देवी सीता, भगवान हनुमान आदि की आराधना करते हैं बल्कि रामायण के पात्रों को जिस प्रकार से चित्रित किया है उससे समाज में वैमनस्य भी पैदा हो सकता है।" न्यायालय ने कहा कि ‘‘यह तो अच्छा है कि वर्तमान विवाद एक ऐसे धर्म के बारे में है जिसे मानने वालों ने कहीं लोक व्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचाया। हमें उनका आभारी होना चाहिए, कुछ लोग सिनेमाघर बंद कराने गए थे किन्तु उन्होंने भी केवल हॉल बंद करवाया, वे और भी कुछ कर सकते थे। नौकरी दिलाने का झांसा देकर बदमाशों ने दो भाइयों से ठगे चार लाख रूपये नदी में गिरी बारात से लौट रही कार, 4 की हुई दर्दनाक मौत माता टेकरी की पहाड़ी पर भूस्खलन होने से हनुमान मंदिर का टूटा पिलर