हिन्दू धर्म में वर लक्ष्मी व्रत का अत्यधिक महत्व है, जो हर साल सावन के महीने में मनाया जाता है। इस व्रत के माध्यम से मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, और सुख-शांति की प्राप्ति की कामना की जाती है। खासकर दक्षिण भारत में इस पर्व को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। वर लक्ष्मी व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त सावन का अंतिम शुक्रवार, इस साल 16 अगस्त को है, जिसे वर लक्ष्मी व्रत के लिए विशेष दिन माना जाता है। इस दिन पूजा के लिए विभिन्न लग्नों में निम्नलिखित मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं: सिंह लग्न: सुबह 05:57 से 08:14 तक वृश्चिक लग्न: दोपहर 12:50 से 15:08 तक कुंभ लग्न: शाम 18:55 से 20:22 तक वृषभ लग्न: रात 23:22 से 01:18 तक वर लक्ष्मी व्रत के उपाय 1. पीली कौड़ियां: मां लक्ष्मी को पीली कौड़ियां पसंद होती हैं। व्रत के दिन स्नान करने के बाद, मां लक्ष्मी की पूजा करें और उनके चरणों में 11 पीली कौड़ियां अर्पित करें। कुछ समय बाद इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अलमारी या तिजोरी में रखें। यह उपाय धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि करता है। 2. नारियल अर्पण: यदि आप पैसों की तंगी का सामना कर रहे हैं, तो इस दिन मां लक्ष्मी को नारियल अर्पित करें और जीवन में सुख-शांति की कामना करें। इस उपाय से धन संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है और धन लाभ के योग बनते हैं। 3. कर्ज से मुक्ति: कर्ज की समस्या दूर करने के लिए, व्रत के दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें। इस दौरान मां लक्ष्मी को अखंडित चावल और गुड़ से बनी खीर अर्पित करें। इस उपाय से कर्ज से मुक्ति प्राप्त होती है। वर लक्ष्मी व्रत का महत्व वर लक्ष्मी व्रत रखने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे संतान सुख और धन-संपत्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। व्रत के दिन घर में शुभ मुहूर्त में श्रीयंत्र की स्थापना करें। शाम को घी का दीपक जलाकर महालक्ष्मी मंत्र "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नमः" का जाप करें। महिलाएं रंगोली बनाती हैं और हल्दी-कुमकुम से स्वास्तिक का निशान बनाती हैं। साथ ही, सात कन्याओं को चावल की खीर खिलाना भी इस व्रत की परंपरा का हिस्सा है, जो घर में सुख और समृद्धि लाता है। जन्मभूमि पर 26 को तो बांके बिहारी मंदिर में 27 अगस्त को क्यों मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी? जानिए वजह बेहद चमत्कारी है ये पौधे, घर में रखने से होगी धन की वर्षा कब है पुत्रदा एकादशी का व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व