प्रदोष व्रत, एक अत्यधिक महत्वपूर्ण व्रत है जो महादेव को समर्पित होता है। यह व्रत प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि इसे करने से मनुष्य को महादेव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में समृद्धि, सुख, और समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसे एक शक्तिशाली साधना माना जाता है, जो विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो आध्यात्मिक उन्नति एवं शांति की प्राप्ति के इच्छुक होते हैं। पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 नवंबर को दोपहर 1:13 बजे प्रारंभ होगी तथा 14 नवंबर को प्रातः 9:43 बजे समाप्त होगी। 13 नवंबर को कार्तिक माह का दूसरा प्रदोष व्रत मनाया जाएगा, क्योंकि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के उपाय: प्रदोष काल में शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें। पंचामृत में दूध, दही, शहद, घी एवं शक्कर मिलाकर इसे तैयार किया जाता है। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से महादेव अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। धतूरा महादेव का प्रिय फल है, जिसे शिवलिंग पर चढ़ाना शुभ होता है। भस्म महादेव का प्रतीक है। आप शिवलिंग पर भस्म अर्पित कर सकते हैं। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करने से मन को शांति मिलती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से महादेव प्रसन्न होते हैं। प्रदोष काल में शिव पूजन का विशेष महत्व है। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, दीपक जलाएं और धूप दें। प्रदोष व्रत रखने से महादेव का आशीर्वाद मिलता है। प्रदोष व्रत के दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि दान करें। करियर-कारोबार में नहीं मिल रही सफलता, तो अपना लें ये उपाय कार्तिक पूर्णिमा के दिन जरूर करें इन चीजों का दान, घर में होगी धनवर्षा 'तेरी बहन को मुसलमान बनाऊंगा..', बन्दूक दिखाकर शादीशुदा दलित महिला को उठा ले गया फैजान