नई दिल्ली: भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ऐलान किया है कि सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को असम से पूरी तरह से हटा दिया जाएगा। मंगलवार (15 अगस्त) को इस मामले पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि, 'असम में पहले ही कई जिलों से AFSPA हटा दिया गया है. राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है और जल्द ही पूरे असम से यह कानून पूरी तरह हटा लिया जाएगा।' सरमा ने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि, "हमारी सरकार के सत्ता में आने से पहले, पिछली सरकारों ने केंद्र से AFSPA को 62 बार बढ़ाने का अनुरोध किया था।" उन्होंने यह भी बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान हस्ताक्षरित 4 शांति समझौतों के माध्यम से राज्य में 8000 से अधिक उग्रवादियों को मुख्यधारा की राजनीति में एकीकृत किया गया है। सीएम सरमा ने कहा है कि 1 महीने के भीतर राज्य में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक बदलाव किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि, 'प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में उप-जिले बनाए जाएंगे। सभी महत्वपूर्ण विभाग इन उप-जिलों के भीतर होंगे। प्रत्येक उप-जिले में एक अतिरिक्त उपायुक्त होगा।' बता दें कि, इस साल मई की शुरुआत में, हिमंत बिस्वा सरमा ने असम को सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) से मुक्त बनाने के अपने लक्ष्य को दोहराया और कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में काम कर रही है। क्या है AFSPA? बता दें कि, सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) भारत की संसद का एक कानून है जो भारतीय सशस्त्र बलों को "अशांत क्षेत्रों" में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष शक्तियां प्रदान करता है। यह सुरक्षा बलों को कहीं भी अभियान चलाने और बिना किसी पूर्व वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। यदि कोई ऑपरेशन गलत हो जाता है, तो यह सुरक्षा बलों को एक निश्चित स्तर की प्रतिरक्षा भी देता है। 1976 के अशांत क्षेत्र अधिनियम के अनुसार, एक बार 'अशांत' घोषित होने के बाद, क्षेत्र को कम से कम तीन महीने तक यथास्थिति बनाए रखनी होती है। चुनावों के लिए एक्टिव हुई भाजपा, आज अहम बैठक की अध्यक्षता करेंगे पीएम मोदी सरकार ने बदला नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम, जानिए क्या होगी नई पहचान ? झारखंड में नक्सलियों के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़, एक सब इंस्पेक्टर और एक हवलदार शहीद