आखिर नींद की समस्या कैसे बना जाती है तनाव का कारण? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

व्यस्त जीवनशेली के कारण आजकल लोगों में स्ट्रेस और एंग्जायटी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं, और इसका एक महत्वपूर्ण कारण नींद की कमी है। तकनीक के इस युग में गैजेट्स का अत्यधिक उपयोग नींद पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

नींद और मानसिक स्वास्थ्य: एक गहरा संबंध नींद और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है। नींद न केवल शारीरिक ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। खराब नींद से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे:

भावनात्मक असंतुलन: नींद की कमी से क्रोध, चिड़चिड़ापन और उदासी जैसी भावनाएं बढ़ सकती हैं, और यह चिंता और अवसाद को जन्म दे सकती है। बौद्धिक क्षमता पर प्रभाव: खराब नींद से बौद्धिक क्षमता, रचनात्मकता और याद्दाश्त प्रभावित होती है। लंबे समय में, यह मानसिक क्षमता में गिरावट और अल्जाइमर का जोखिम बढ़ा सकती है। तनाव हार्मोन: नींद की कमी से तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का अधिक स्राव होता है, जो तनाव समस्याओं को जन्म दे सकता है।

जोखिम कारक नींद में कठिनाई: नींद की कमी से चिंता और अवसाद बढ़ सकते हैं। खराब नींद अवसाद को बढ़ा सकती है, और अवसाद नींद को प्रभावित कर सकता है। लंबे समय तक तनाव: लंबे समय तक तनाव नींद को प्रभावित कर सकता है और मानसिक स्वास्थ्य को खराब कर सकता है।

नींद में सुधार के तरीके अच्छी नींद की आदतें: नियमित नींद लेने का शेड्यूल बनाएं और सोने से पहले कैफीन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से परहेज करें। कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरेपी: अनिद्रा के लिए यह प्रभावी उपचार है, जो नकारात्मक विचारों को सुधारता है। माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन तकनीक: ध्यान और गहरी सांस लेने के व्यायाम से नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। दवा: कुछ मामलों में नींद के इलाज के लिए दवा का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसे डॉक्टर की सलाह के बिना ना लें। नियमित व्यायाम: शारीरिक गतिविधि नींद की गुणवत्ता और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है।

नींद और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता और प्रबंधन समग्र स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक हेल्दी लाइफस्टाइल रुटीन विकसित कर अच्छी नींद और मजबूत मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना आवश्यक है।

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