आखिर क्यों शेर ही है मां दुर्गा का वाहन? जानैं इसके पीछे की कहानी

नवरात्रि 2024 का पावन पर्व चल रहा है, जो नौ दिनों तक पूरे भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। यह एक अद्भुत धार्मिक अवसर है, जब भक्तगण मां दुर्गा के मंदिरों में जाकर उनकी प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना करते हैं। एक विशेष बात जो हर मां दुर्गा की प्रतिमा में दिखाई देती है, वह यह है कि मां दुर्गा शेर पर सवार होती हैं। इस लेख में हम इस सवाल का उत्तर देंगे कि आखिर मां दुर्गा शेर पर ही क्यों सवार रहती हैं और शेर कैसे उनकी सवारी बना।

मां दुर्गा की सवारी शेर: पौराणिक मान्यता पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा की सवारी शेर को माना जाता है। हालांकि देवी के नौ रूपों की नौ अलग-अलग सवारियां होती हैं, लेकिन मां दुर्गा का मुख्य वाहन शेर ही है। शेर न केवल शक्ति और साहस का प्रतीक है, बल्कि मां दुर्गा की अद्वितीय शक्ति और उनकी रक्षक स्वभाव को भी दर्शाता है।

मां दुर्गा को शक्ति, धैर्य और साहस की देवी माना जाता है, और उनके द्वारा शेर पर सवार होना इन गुणों को और भी प्रकट करता है। शेर को निडरता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और मां दुर्गा को शेर पर सवार दिखाना यह इंगित करता है कि उन्होंने उन सभी भयों और चुनौतियों पर विजय प्राप्त कर ली है, जो उनके सामने आईं।

शेर मां की सवारी कैसे बना: पौराणिक कथा इस कथा की जड़ें मां पार्वती की तपस्या से जुड़ी हुई हैं। मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या के दौरान, उनका रंग काला पड़ गया था। एक बार भगवान शिव ने हंसी-मजाक में उन्हें "काली" कहकर बुला लिया, जिससे मां पार्वती अत्यंत क्रोधित हो गईं। उनके गुस्से के कारण वे कैलाश पर्वत छोड़कर चली गईं और अकेले तपस्या करने लगीं।

जब मां पार्वती एकांत में तपस्या कर रही थीं, तभी वहां एक भूखा शेर आ पहुंचा। शेर ने मां पार्वती को तपस्या करते देखा और वह वहीं शांत बैठ गया, उनकी तपस्या का प्रभाव उस पर इतना गहरा था कि वह उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सका। मां की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें गोरी होने का वरदान दिया। जब मां पार्वती तालाब में स्नान करने गईं, तो उनका रंग फिर से गोरा हो गया, और उसी समय तालाब से सांवले रंग की एक देवी प्रकट हुईं, जिन्हें मां कौशिकी कहा गया। इसके बाद मां पार्वती को मां गौरी के नाम से जाना जाने लगा।

स्नान के बाद जब मां पार्वती वापस लौटीं, तो उन्होंने देखा कि वह शेर अब भी वहां बैठा है। शेर के प्रति मां का स्नेह जाग्रत हुआ और उन्होंने उसे अपनी सवारी बना लिया। इस प्रकार, शेर को मां पार्वती का वाहन बनने का गौरव प्राप्त हुआ, और इस कथा से यह भी सिद्ध होता है कि शेर मां के साहस, धैर्य और शक्ति का प्रतीक बन गया।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं। इन सभी रूपों की पूजा भक्तों द्वारा पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है, ताकि वे मां दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकें।

नवरात्रि का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्म-संयम, साधना और भक्ति का प्रतीक भी है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा का शेर पर सवार होना हमें यह सिखाता है कि जीवन में साहस, धैर्य और शक्ति से ही सभी समस्याओं का सामना किया जा सकता है।

मां दुर्गा की सवारी शेर न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि यह जीवन के हर संघर्ष में आत्मविश्वास और साहस को बनाए रखने का संदेश भी देती है। शेर पर सवार मां दुर्गा हमें यह प्रेरणा देती हैं कि जीवन की हर चुनौती का सामना धैर्य, साहस और आत्मबल से करना चाहिए।

सपने में पानी का दिखना शुभ या अशुभ? यहाँ जानिए

नहीं है दुर्गा सप्तशती के पाठ करने का समय, तो अपना लें ये उपाय

वाहनों के लिए ये रंग होता है शुभ, खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

Related News