बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा लेटरल एंट्री की भर्तियों को रद्द करने पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। मायावती ने इस फैसले को बसपा के कड़े विरोध का परिणाम बताया है। साथ ही, उन्होंने मोदी सरकार से एक महत्वपूर्ण मांग भी की है। मायावती का बयान: सोशल मीडिया साइट X (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था) पर बसपा चीफ मायावती ने लिखा कि केंद्र सरकार ने संयुक्त सचिव और निदेशक जैसे उच्च पदों पर आरक्षण सहित सामान्य प्रक्रिया से प्रमोशन और नियुक्ति के बजाय भारी वेतन पर बाहर से 47 लोगों की लेटरल एंट्री करने का विज्ञापन जारी किया था। बसपा के तीव्र विरोध के बाद इस विज्ञापन को रद्द कर दिया गया है। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी सभी आरक्षण विरोधी प्रक्रियाओं को हर स्तर पर रोकने की जरूरत है। लेटरल एंट्री पर केंद्र का फैसला: लेटरल एंट्री के मुद्दे पर बढ़ते सियासी विवाद के बीच, केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए UPSC को लेटरल एंट्री की भर्तियों को वापस लेने का निर्देश दिया है। केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि लेटरल एंट्री के आधार पर निकाली गई भर्तियों में आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया था। इस वजह से इसे वापस लिया जा रहा है। पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उच्च पदों पर लेटरल एंट्री के लिए संविधान में निहित सामाजिक न्याय और आरक्षण पर जोर देना चाहते हैं। इसलिए इस विज्ञापन को वापस लेना जरूरी है। सामाजिक न्याय और आरक्षण पर केंद्र का रुख: केंद्र सरकार ने पत्र में इस बात पर भी जोर दिया कि सामाजिक न्याय के प्रति संवैधानिक जनादेश को बनाए रखना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाशिए पर मौजूद योग्य उम्मीदवारों को सरकारी सेवाओं में उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। विपक्ष का विरोध: गौरतलब है कि 17 अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग ने लेटरल एंट्री के आधार पर नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसका कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध किया था। विपक्ष का कहना था कि इस प्रक्रिया से आरक्षण की व्यवस्था खतरे में पड़ जाएगी और सामाजिक न्याय अधूरा रह जाएगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर इस कदम की आलोचना की थी और कहा था कि केंद्र सरकार लेटरल एंट्री के जरिए दलितों, आदिवासियों और पिछड़ा वर्ग से उनका आरक्षण छीनने की कोशिश कर रही है, जो कि बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। मायावती की मांग: मायावती ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसी आरक्षण विरोधी प्रक्रियाओं को पूरी तरह से रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह कदम बसपा के कड़े विरोध का नतीजा है, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की नीतियों को लागू न किया जाए। अब और भी ज्यादा बढ़ जाएगी वॉट्सऐप की प्राइवेसी, जानिए क्या होगा इस बार नया स्वतंत्रता दिवस पर व्हाट्सएप स्टेटस पर आप भी लगा सकते है खास वीडियो नहीं जानते होंगे आप भी WhatsApp के इस शानदार फीचर के बारें में