नई दिल्ली: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के पश्चात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर इतिहास रचने की दहलीज पर है. अब देश के साथ-साथ दुनिया की निगाहें ISRO के सूर्य मिशन मतलब Aditya-L1 पर टिकी हैं. इसका काउंटडाउन भी आरम्भ हो गया है. मिशन आज प्रातः 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस स्टेशन से लॉन्च किया जाएगा. लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन पश्चात् यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा. इस पॉइंट पर पहुंचने के पश्चात् Aditya-L1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा. ISRO सूर्य की गतिविधि समझने के लिए जिस Aditya-L1 मिशन को लॉन्च कर रहा है, उसमें PSLV-XL रॉकेट बेहद आवश्यक भूमिका निभाने वाला है. यह वह रॉकेट है जो Aditya-L1 को अंतरिक्ष में छोड़ेगा. यह PSLV की 59वीं उड़ान है. एक्सएल वैरिएंट की 25वीं उड़ान है. लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से हो रही है. यह रॉकेट 145.62 फीट ऊंचा है. रॉकेट आदित्य-L1 को धरती की निचली कक्षा में छोड़ेगा. जिसकी पेरिजी 235 किलोमीटर तथा एपोजी 19,500 किलोमीटर होगी. पेरीजी यानी धरती से नजदीकी दूरी एवं एपोजी यानी अधिकतम दूरी. आदित्य L1 मिशन पर, पद्मश्री पुरस्कार विजेता एवं इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुराई ने कहा, "L1 बिंदु तक पहुंचना तथा उसके चारों तरफ एक कक्षा में निरंतर घूमना तकनीकी रूप से बहुत ही चुनौती भरा है. इसके साथ ही बेहद सटीक पॉइंट पर पांच वर्षों तक निरंतर सर्वाइव करना भी बहुत चुनौतीपूर्ण है. यह वैज्ञानिक तौर पर बेहद फायदेमंद होने वाला है क्योंकि सात उपकरण, उन घटनाओं को जानने-समझने का प्रयास करेंगे कि वहां क्या हो रहा है. खगोलशास्त्री एवं प्रोफेसर आरसी कपूर ने आदित्य एल1 लॉन्च पर बहुत ही आवश्यक बात शेयर की है. लॉन्चिंग से पहले उन्होंने इस मिशन के बारे में बताते हुए कहा कि "यह एक बहुत ही अहम दिन है. आदित्य L1 में सम्मिलित सबसे अहम उपकरण सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेगा. आम तौर पर, इसका अध्ययन सिर्फ पूर्ण सूर्य ग्रहण के चलते ही किया जा सकता है." 'वैज्ञानिकों से अपील हैं कि वो मोदी जी को सूर्यलोक पर पहुंचा दें': लालू यादव करवा चौथ सरगी थाली के लिए स्वादिष्ट मीठी मठरी कैसे तैयार करें, जानिए महिलाओं ने दौड़ा-दौड़ाकर की पूर्व सरपंच की चप्पलों से पिटाई, लगाया ये आरोप