रांची : चारा घोटाले के दुमका मामले में कल बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू यादव को सज़ा सुनाते हुए सीबीआई कोर्ट ने उनके खिलाफ बेहद सख्त टिप्पणियां की. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि राजनीति में आने के बाद लालू यादव ने भ्रष्टाचार की धारा खोल दी और भ्रष्ट अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान की. उल्लेखनीय है कि चारा घोटाले से जुड़े दुमका ट्रेजरी मामले में सीबीआई कोर्ट के जज शिवपाल सिंह ने सजा सुनाते हुए कहा, कि 'भारतीय संविधान की शपथ लेने के बावजूद लालू ने कभी भी इसकी शुचिता को बना के नहीं रखा.' सीबीआई कोर्ट ने आगे कहा कि 1990 से 1997 के बीच जब गलत तरीके से ज़्यादा मात्रा में पशु विभाग का पैसा निकाला गया तो उस समय लालू यादव मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री दोनों थे. इस दौरान उन्होंने वित्त सचिव ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया गया जिसने लालू यादव के मौखिक आदेशों का पालन किया. लालू प्रसाद यादव ने कई ज़िलों से ट्रेज़री से सरकारी धन को गलत ढंग से निकाला और खर्च किया और जिन लोगों ने इसमें उनका साथ दिया उनको गलत तरीके से संरक्षण दिया. इस मामले के निर्णय में हुई देरी का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि लालू ने आपराधिक मामलों के निपटान में भी बाधाएं पैदा कीं जिसकी वजह से मामला 20 सालों तक लटका रहा और लालू राजनीतिक ताकत का आनंद लेते रहे.उनकी पार्टी आरजेडी ढेर सारे अवैध तरीके से कमाए गए पैसों से बनी. इस मामले में सज़ा सुनाते हुए जज ने उन्हें बेईमानी, जालसाजी, आपराधिक षड्यंत्र के मामले में 7 साल की और लोक सेवक के रूप में भ्रष्टाचार करने के आरोप में 7 साल यानी कि कुल 14 साल की सज़ा सुनाई साथ ही 60 लाख रुपए का ज़ुर्माना भी लगाया. उधर, सज़ा सुनाए जाने के समय राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइस (रिम्स) में भर्ती लालू प्रसाद यादव को जब विधायक भोला यादव ने कोर्ट के फैसले की जानकारी दी तो लालू का रक्तचाप 124/85 से बढ़कर अचानक 140/90 पहुंच गया. लालू प्रसाद के चेहरे पर पसीना आ गया.उनका मुंह भी सूखने लगा. 20 मिनट में लालू 10 गिलास से अधिक पानी पी गए. चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ तौर पर देखी गई. यह भी देखें लालू पर सज़ा का चौका, 60 लाख का ज़ुर्माना भी ठोका लालू से रिम्स में मिलने पहुंचे शत्रुघ्न सिन्हा