शराब, बस के बाद अब टॉयलेट घोटाले में फंसी केजरीवाल सरकार, जिसपर खुद बैन लगाया, उसे ही दे दिया ठेका

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर कांग्रेस ने ‘टॉयलेट घोटाले’ का इल्जाम लगाया है। दिल्ली कांग्रेस इकाई के नेताओं ने मंगलवार (20 सितंबर, 2022) को इस सिलसिले में उप-राज्यपाल (LG) वी के सक्सेना से मुलाकात की और पब्लिक टॉयलेट में अनुबंध की जाँच कराने की माँग की। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार शहर में सार्वजनिक शौचालयों का प्रबंधन गैर सरकारी संगठनों के स्थान पर एक प्रतिबंधित कंपनी को सौंपने की योजना बना रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अनिल कुमार के नेतृत्व में पार्टी के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने LG सक्सेना को एक ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने दिल्ली सरकार की योजना में भ्रष्टाचार का दावा करते हुए पब्लिक टॉयलेट में वेस्टर्न टॉयलेट सीट लगाने के अनुबंध की जाँच कराने की माँग की है। अनिल कुमार ने सिसोदिया पर आरोप लगाते हुए सवाल किया कि जिस कंपनी को उन्होंने (दिल्ली सरकार ने) खुद प्रतिबंधित किया है, अब उसे टेंडर क्यों दिया जा रहा है?

कुमार ने कहा कि, '18 अगस्त को 559 सार्वजनिक सुविधा परिसरों में 18620 शौचालयों के निर्माण के लिए एक डिबार्ड कंपनी को टेंडर देने का फैसला लिया गया था। दिल्ली सरकार टेंडर जारी करने के लिए पारंपरिक ई-प्रोक्योरमेंट वेबसाइट की जगह GeM पोर्टल पर गई और सीधे एक प्रतिबंधित कंपनी को ठेका देने की पेशकश की।' दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कुमार ने आगे आरोप लगाया कि सिसोदिया ने खुद 2021 में दो वर्षों के लिए इस कंपनी को उसके खराब प्रदर्शन के लिए बैन कर दिया था। वहीं, उच्च न्यायालय ने भी उस कंपनी को अपने खराब रिकॉर्ड के लिए कोई क्लीन चिट नहीं दी है।

दिल्ली कांग्रेस के अनुसार, 8 जून को आदेश में जब GeM पोर्टल की निविदा शर्तों में कहा गया था कि खराब प्रदर्शन के ट्रैक रिकॉर्ड वाली कंपनी निविदा बोली में हिस्सा नहीं ले सकती हैं, तो उस कंपनी को निविदा बोली में भाग लेने की इजाजत कैसे दी गई? बता दें कि सीएम अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर इससे पहले शराब और बस घोटाले में भी फंस चुकी है। दिल्ली सरकार की आबकारी पॉलिसी से किन-किन लोगों को फायदा पहुँचाने का प्रयास किया गया और यह कैसे-कैसे अंजाम दिया गया, इसको लेकर एक व्यक्ति ने विस्तार से बताया था। उसने बताया कि इसमें AAP के नेताओं को कई सौ करोड़ रुपए का लाभ पहुँचा है और जिनको लाभ पहुँचा है, उन सभी ने अरविंद केजरीवाल को पैसे दिए हैं। वहीं, बीते दिनों दिल्ली के LG वीके सक्सेना, केजरीवाल सरकार द्वारा बस खरीद मामले से संबंधित घोटाले की जाँच CBI को सौंपी थी। 

बता दें कि, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भ्रष्टाचार मामले में पिछले 4 महीनों से जेल में कैद हैं और उन्हें जमानत तक नहीं मिल रही है। ED की पूछताछ में जैन कह चुके हैं कि उनकी याददाश्त जा चुकी है और उन्हें कुछ याद नहीं है। इसके अलावा भी अमानतुल्लाह खान को मिलाकर AAP के लगभग 9 नेता इस समय जेल में हैं। अमानतुल्लाह खान भी भ्रष्टाचार मामले में ही जेल में हैं, उन्हें पहले 4 दिन कि हिरासत में जेल भेजा गया था, जिसके बाद कोर्ट ने उनकी हिरासत 5 दिन के लिए और बढ़ा दी है। वहीं, दूसरी तरफ, केजरीवाल खुद अपने नेताओं की तारीफ तो जमकर कर रहे हैं, लेकिन उनके बचाव में कोई ठोस प्रमाण नही दे पा रहे। ये भी एक वजह है, जो आम आदमी पार्टी की ईमानदारी और अरविंद केजरीवाल की नियत पर सवाल खड़े कर रही है। पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को अपने नेताओं को कोर्ट में बेकसूर साबित कर विरोधी पक्ष को करारा जवाब देना चाहिए, अगर वे ऐसा नही कर पाते हैं तो इसका जनता में एक ही संदेश जाएगा और वो ये कि अरविंद केजरीवाल ने खुद भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रखा है।

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