पटना: पटना एसएसपी मनु महाराज से कहा कि तोडफ़ोड़ करने वालों के अलावा उन्हें उकसाने वालों नेताओं पर प्राथमिकी की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का अधिकार किसी को नहीं है. अगर इसमें सत्तारूढ़ दल का मौन समर्थन है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. पटना हाईकोर्ट ने भारत बंद के दौरान पटना में हुए उत्पात पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायाधीश राकेश कुमार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राजधानी पटना में उत्पात से आम लोगों को हो रही परेशानी का आंखों देखा हाल देखकर एसएसपी मनु महाराज को कोर्ट में तलब किया. एसएसपी ने बताया कि सोमवार को दिन के दो बजे तक 26 लोगों के खिलाफ सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने एवं सड़क जाम करने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी.पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों को लगाया गया था. न्यायाधीश राकेश कुमार ने कहा कि उन्हें खुद कोर्ट पहुंचने में हुई देर हुई है. दानापुर से हाईकोर्ट आने में सवा घंटे लगे. उनके रूट को बदल दिया गया. जगह-जगह सड़क जाम किया गया था. हाईकोर्ट पहुंचने में अनेक प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ा. जबकि एस्कार्ट पार्टी उनके वाहन के आगे चल रही थी. आम लोंगों को कितनी दिक्कत हो रही होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कहीं इसमें सत्तारूढ़ पार्टी की मौन स्वीकृति तो नहीं है. यदि ऐसा है तो यह प्रदेश के लिए बड़ा दुर्भाग्य है. एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ दलित संगठनों ने सोमवार को भारत बंद का आयोजन किया था. SC/ST एक्ट: 'भारत बंद' के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार- राजद बिहार: भागलपुर दंगों के आरोप में बीजेपी नेता गिरफ्तार बिजली कंपनी ने इतना राजस्व बटोर कर बनाया रिकॉर्ड