इंसान की जिंदगी में परेशानियाँ तो होती ही है, लेकिन उनसे आगे निकलकर भी कुछ लोग इतिहास रच देते है. अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा किए गए एक बारूदी सुरंग विस्फोट में वहाँ तैनात ऑस्ट्रेलियाई युवा सैनिक कर्टिस मैकग्रॉ के दोनों पैर बुरी तरह से घायल हो गए थे, अपने दोनों पैरो को खोने के बाद भी उन्होंने अपने आत्मविश्वास को कायम रखा और पैरालिंपिक खिलाड़ी के तौर पर करियर की शुरुआत की और 2016 में रियो पैरालिंपिक में उन्होंने कनोइंग में गोल्ड जीता था. उल्लेखीनय है कि 2006 में मैकग्रॉ ऑस्ट्रेलियाई सेना में भर्ती हुए थे, उन्हें 2012 में अफगानिस्तान भेजा गया था. उस समय अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था. एक बारूदी सुरंग विस्फोट में उन्हें अपने दोनों पैर गवाने पड़े थे, घटना के आधे घंटे में ही उन्होंने पैरालिंपिक्स में भाग लेने का निर्णय ले लिया था. लंदन में उस समय पैरालिंपिक्स होने वाले थे. अस्पताल में ले जाते समय मैकग्रॉ ने अपने साथियो को मजाकिया अंदाज में कहा था कि मैं अब पैरालिंपियन बनने जा रहा हूं. बता दे कि मैकग्रॉ ने अफगानिस्तान में घायल होने के बाद कृत्रिम पैरों के साथ खेलना शुरू कर दिया था. दिल्ली में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मैकग्रॉ ने अपने करियर से जुडी बातें एनबीटी से साझा कीं. उन्होंने बताया कि ''मुझे पता था कि ऐसा हो सकता है, इसलिए मैंने खुद को तैयार कर रखा था. पैर गंवाने के बाद मुझे वह करने का अवसर मिला, जो सामान्य व्यक्ति के तौर पर शायद न मिलता.'' महिला हॉकी विश्व कप 2018: पहले मैच में इस टीम से भिड़ेगा भारत टेस्ट मैच से पहले सहवाग को जगाना पड़ता था- गांगुली कुलदीप यादव ने बताया उनका अश्विन और जडेजा से कॉम्पिटिशन नहीं