सनातन धर्म में हर घर में पूजा-पाठ करने की परंपरा है. पूजा के वक़्त बहुत सी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. पूजा के वक़्त कुछ लोग दीपक जलाते हैं, तो कुछ लोग अगरबत्ती की उपयोग करते है. धर्म शास्त्रों में पूजा के चलते अगरबत्ती जलाना शुभ नहीं माना जाता तथा इसलिए ही दीपक जलाने की परंपरा है. किन्तु क्या आप जानते हैं कि आखिर अगरबत्ती जलाना क्यों अशुभ? आइए आपको बताते है इसके पीछे मौजूद धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण. प्रातः एवं शाम के वक़्त पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. कुछ लोग देवी-देवताओं की पूजा में दीपक के साथ-साथ अगरबत्ती या धूपबत्ती का भी जलाते हैं. दीपक या अगरबत्ती, क्या जलाना है शुभ? धार्मिक मान्यता है कि पूजा में घी या तेल का दीपक जलाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है तथा सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है. दीपक का धुआं वातावरण में उपस्थित हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करता है. सामान्य रूप से पूजा में उपयोग होने वाली अगरबत्ती बांस की लकड़ी से बनाई जाती है. सनातन धर्म में बांस को जलाना अशुभ माना जाता है. क्या हैं धार्मिक कारण? शास्त्रों में पूजा विधान में कहीं भी अगरबत्ती जलाने का उल्लेख नहीं प्राप्त होता है, जबकि धूपबत्ती के उपयोग के बारे में लिखा हुआ मिलता है. शास्त्रों के मुताबिक, बांस से बनी अगरबत्ती जलाने से घर में गरीबी एवं कंगाली आती है. साथ ही मनुष्य को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसलिए अगरबत्ती की जगह धूपबत्ती का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. इसलिए पूजा में अगरबत्ती जलाना होता है अशुभ ज्योतिषाचार्य बताती हैं कि बांस को पूजा के चलते जलाने से वंश वृद्धि में बाधा आती है तथा साथ ही पितृ दोष उत्पन्न हो जाते हैं. पूजा के चलते कभी भी बांस से बनी अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए. पूजा के चलते धूपबत्ती या दीया जलाना ही शुभ माना जाता है. दरअसल, बांस का इस्तेमाल अर्थी बनाने में किया जाता है किन्तु अंतिम संस्कार में बांस नहीं जलाते हैं. इसी कारण बांस से बनी अगरबत्ती पूजा के चलते उपयोग नहीं करनी चाहिए. यह है वैज्ञानिक कारण सनता धर्म के मुताबिक, शादी-विवाह, जनेऊ, मुंडन आदि में बांस की पूजा की जाती है तथा शादियों में बांस ही से मंडप बनाया जाता है. इसलिए भी पूजा में बांस से बनी अगरबत्तियों को जलाने की मनाही है. वैज्ञानिक धारणा है कि अगरबत्ती बांस एवं केमिकल से बनाई जाती है, जिसके धुएं से सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा इसके धुएं से सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. 'पैगाम-ए-मोहब्बत है..', पीएम मोदी से मिलने पहुंचे सभी धर्मों के धर्मगुरु, बोले- हमारा भारत एक है... मुस्लिम बहुल गाँव में इकलौता हिन्दू परिवार, इस्लाम कबूलने का दबाव, 3 सालों से लगातार झेल रहा प्रताड़ना झारखंड में जनजाति समुदाय की रैली, धर्म बदलने वालों से आरक्षण वापस लेने की मांग