नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाइ गई 'अग्निपथ योजना' का विरोध इस कदर बढ़ा कि जगह-जगह आगजनी और तोड़फोड़ की वारदातें देखने को मिलीं। विरोध की इस आग में सबसे अधिक नुकसान रेलवे को झेलना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और दर्जनों ट्रेनों को फूंक डाला। रेलवे ने 18 जून को बताया था कि उसे चार दिन के हिंसक प्रदर्शनों में ही 700 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। अग्निपथ योजना के विरोध में युवाओं ने अब तक रेलवे की जितनी संपत्ति जलाई है, उतना नुकसान तो रेलवे को पिछले एक दशक में भी नहीं हुआ था। अग्निपथ के विरोध प्रदर्शन में अब तक रेलवे को एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान जताया गया है। जबकि, एक दशक में सवा चार सौ करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था। बता दें कि देश में विरोध प्रदर्शन हो या कोई आंदोलन हो, प्रदर्शनकारी अमूमन रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे पहले इसी साल जनवरी में RRB-NTPC एग्जाम के परिणाम को लेकर भी अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया था। उस वक़्त भी रेलवे की करोड़ों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। रेल मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 में रेलवे को कानून व्यवस्था बिगड़ने और विरोध प्रदर्शनों के कारण 467.20 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था। इसमें से 465 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान अकेले पंजाब में हुआ था। इसका एक कारण किसान आंदोलन भी था। इससे पहले 2019-20 में 100 करोड़ रुपये से अधिक नुकसान रेलवे को हुआ था। इस साल रेलवे की संपत्ति का नुकसान हजार करोड़ रुपये से भी अधिक होने का अनुमान है। प्रदर्शनकारियों के ट्रेनों को फूंकने और पटरियों को नुकसान पहुंचाने से रेलवे को नुकसान तो हो ही रहा है, टिकट रद्द करवाने और रिफंड करने से भी उसे नुकसान झेलना पड़ रहा है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, 60 करोड़ से अधिक यात्री टिकट रद्द करवा चुके हैं।