इंदौर। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी रणजीत अष्टमी के अवसर पर विशाल प्रभात फेरी निकाली गई। 138 साल से चली आ रही परंपरा आज भी उसी उत्साह और उमंग के साथ बनी हुई है। इस वर्ष बाबा रणजीत की प्रभातफेरी प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव को समर्पित रही। पूरा यात्रा मार्ग भगवामय नजर आया, जगह-जगह स्वागत मंच से प्रभात फेरी का स्वागत किया गया। पांच किलोमीटर लंबा मार्ग राममयी नजर आया। सुबह पांच बजे निकली इस प्रभातफेरी को महूनाका पहुंचने में करीब तीन घंटे लगे। प्रभात फेरी में करीब 3 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। हर तरफ जय श्रीराम और जय रणजीत के नारे लगते रहे। प्रभात फेरी में प्रमुख आकर्षण का केंद्र अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की वृहद प्रतिकृति रही। 40 फीट लंबी, 15 फीट चौड़ी और 21 फीट ऊंचाई है। वहीं इस प्रभातफेरी के लिए 100 से अधिक स्वागत मंच लगाए गए थे और हर स्वागत मंच पर प्रभु श्रीराम के दर्शन हुए। सम्पूर्ण मार्ग भगवा ध्वजों से सजाया गया। प्रभात फेरी के साथ ही चार दिनी रणजीत अष्टमी महोत्सव का समापन भी हुआ। यात्रा की पूरी व्यवस्था रणजीत भक्त मंडल के 2 हजार सदस्यों ने संभाली। इस भक्त मंडल की खासियत है कि इसमें कोई पदाधिकारी नहीं बल्कि सभी रणजीत बाबा के भक्त है। मंदिर के मुख्य पुजारी पं. दीपेश व्यास ने बताया कि बाबा रणजीत की प्रभातफेरी इस वर्ष बहुत खास है। उन्होंने कहा की अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का अवसर हर सनातनी के लिए खास है। इसीलिए इस बार रणजीत अष्टमी महोत्सव को भी भगवान श्रीराम को समर्पित किया गया है। बार रणजीत की प्रभातफेरी सुबह 5 बजे से कर रणजीत हनुमान मंदिर, द्रविड नगर, महू नाका चौराहा से घूमकर अन्नपूर्णा मंदिर रोड पहुंची। इसके बाद नरेंद्र तिवारी मार्ग से होते हुए पुन: रणजीत हनुमान मंदिर पर पहुंची जहां प्रभात फेरी का समापन हुआ। यात्रा में यह विशेष आकर्षण बंगाल के 10 कलाकारों द्वारा एक माह में अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर की विशाल प्रतिकृति का निर्माण किया गया। इसका निर्माण लोहा, लकड़ी, कपड़ा, थर्माकोल से किया गया। डिजाइनर जाली और रंगों से सजाया गया। श्रीराम मंदिर की विशाल प्रतिकृति को 16 पहिए वाली गाड़ी में रखकर झांकी के स्वरुप में प्रभातफेरी में शामिल किया गया। रणजीत हनुमान मंदिर से प्रभातफेरी की शुरुआत पं. भोलाराम व्यास ने की थी। उस समय रणजीत हनुमान की तस्वीर हाथ में लेकर मंदिर परिसर में पैदल सात परिक्रमा लगाई जाती थी। फिर प्रभातफेरी ठेला गाड़ी पर निकाली जाने लगी। वर्ष 2012 के बाद प्रभातफेरी का स्वरूप वृहद हुआ फिर बाबा रणजीत को बग्घि में बैठाकर घूमाया गया। 2014 में बाबा रणजीत का विग्रह तैयार कर स्वर्ण रथ में प्रभातफेरी निकाली जाने लगी। प्रभात फेरी निकलते हुए 138 वर्ष आज पुरे हुए। चार दिवसीय रणजीत अष्टमी महोत्सव 1 जनवरी से शुरू हुआ था जिसमे प्रथम दिन 11 हजार ध्वज का पूजन इंदौर कलेक्टर द्वारा किया गया। दूसरे दिन 2 जनवरी को दीपोत्सव और विशाल भजन संध्या का आयोजन किया गया जिसमें 21 हजार दिप जलाये गए। तीसरे दिन 3 जनवरी को बाबा रणजीत का महा अभिषेक हुआ तथा सवा लाख रक्षासूत्रों को अभिमंत्रित किया गया। इन रक्षा सूत्र को निशुल्क वितरित किया गया। चौथे दिन 4 जनवरी को प्रातः 5 बजे बाबा रणजीत की विशाल प्रभात फेरी निकाली गई। जिसमे बाबा रणजीत रथ में सवार हो कर नगर भ्रमण पर निकले। यात्रा में ढोल ताशे, कड़ाबीन, ध्वज वाहक, रंजीत भक्त मंडली, तथा इस यात्रा में बड़ी संख्या में धर्म प्रेमी जनता शामिल हुई। यात्रा का जगह जगह भव्य स्वागत किया गया। 'राममय' होगा पूरा भारत, BJP ने बनाया ये प्लान 'राम आएंगे' भजन गाने वाली स्वाति मिश्रा के मुरीद हुए PM मोदी, खुद वीडियो शेयर कर लिखी ये बात 'जहां-जहां पड़े श्री राम के चरण, उन्हें बनाया जाएगा तीर्थ स्थल', इस राज्य की सरकार ने किया बड़ा ऐलान