आज यानी 13 अगस्त को अहिल्याबाई होल्कर की पुण्यतिथि है. भारतीय इतिहास की ताकतवर महिलाओं में अहिल्याबाई होल्कर का नाम गिना जाता है. बता दे कि अहिल्याबाई (1725-1795) एक महान शासक थी और मालवा प्रांत की महारानी. लोग उन्हें राजमाता अहिल्यादेवी होल्कर नाम से भी जानते हैं और उनका जन्म महाराष्ट्र के चोंडी गांव में 1725 में हुआ था. उनके पिता मानकोजी शिंदे खुद धनगर समाज से थे, जो गांव के पाटिल की भूमिका निभाते थे. हरतालिका तीज : भूलकर भी न करें ये काम, जानिए क्या-क्या है शामिल ? आपकी जानकारी के लिए बता दे कि उनके पिता ने अहिल्याबाई को पढ़ाया-लिखाया. अहिल्याबाई का जीवन भी बहुत साधारण तरीके से गुजर रहा था. लेकिन एकाएक भाग्य ने पलटी खाई और वह 18वीं सदी में मालवा प्रांत की रानी बन गईं.युवा अहिल्यादेवी का चरित्र और सरलता ने मल्हार राव होल्कर को प्रभावित किया. वे पेशवा बाजीराव की सेना में एक कमांडर के तौर पर काम करते थे. उन्हें अहिल्या इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने उनकी शादी अपने बेटे खांडे राव से करवा दी. इस तरह अहिल्या बाई एक दुल्हन के तौर पर मराठा समुदाय के होल्कर राजघराने में पहुंची. उनके पति की मौत 1754 में कुंभेर की लड़ाई में हो गई थी. ऐसे में अहिल्यादेवी पर जिम्मेदारी आ गई. उन्होंने अपने ससुर के कहने पर न केवल सैन्य मामलों में बल्कि प्रशासनिक मामलों में भी रुचि दिखाई और प्रभावी तरीके से उन्हें अंजाम दिया. हरतालिका तीज : आसान नहीं है यह व्रत, महिलाएं जरूर जान लें ये नियम अगर उनके जीवन के अतिंम समय की बात करें तो अहिल्याबाई होल्कर का चमत्कृत कर देने वाले और अलंकृत शासन 1795 में खत्म हुआ, जब उनका निधन हुआ. उनकी महानता और सम्मान में भारत सरकार ने 25 अगस्त 1996 को उनकी याद में एक डाक टिकट जारी किया. इंदौर के नागरिकों ने 1996 में उनके नाम से एक पुरस्कार स्थापित किया. असाधारण कृतित्व के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है. इसके पहले सम्मानित शख्सियत नानाजी देशमुख थे. राजनीतिक पथ पर स्थापित रहना मुश्किल, जरूरी है दायित्व बोध के लिए प्रोत्साहन ऋषि पंचमी : ऋषि पंचमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? बरसात के मौसम में जरूर ट्राई करें कॉर्न फ्राइड राइस