श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने की एक और शर्मनाक साजिश को पुलिस ने नाकाम कर दिया है। पुलिस ने तीन ऐसे कट्टरपंथियों को गिरफ्तार किया है, जो गोहत्या करके मृत गायों को हिन्दू बहुल इलाकों में फेंकते थे। इनका मकसद स्पष्ट रूप से दंगे भड़काना और समाज में नफरत फैलाना था। यह घटना साफ दिखाती है कि कुछ लोग शांति से रहना ही नहीं चाहते और ना ही दूसरों को शांति से रहने देना चाहते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार (24 दिसंबर, 2024) को जम्मू-कश्मीर के नगरोटा इलाके में इन कट्टरपंथियों ने अपनी साजिश को अंजाम देने की कोशिश की। जगटी-राजपुर मार्ग पर कुछ स्थानीय लोगों को खाई में मृत गाय और बछड़ा पड़े मिले। वहां से बदबू आ रही थी, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई। देखते ही देखते यह खबर फैल गई और घटनास्थल पर स्थानीय लोगों के साथ हिन्दू संगठनों के सदस्य भी पहुंच गए। लोगों में भारी आक्रोश था। स्थिति बिगड़ने से पहले पुलिस मौके पर पहुंच गई। स्थानीय SHO परवेज सज्जाद ने स्थिति को संभाला और आरोपियों को पकड़ने के लिए 24 घंटे का समय मांगा। पुलिस ने इलाके में लगे CCTV कैमरों की जांच की, जिसमें एक संदिग्ध ट्रक (नंबर 2195) दिखा। इसी ट्रक के जरिए पुलिस ने अपनी जांच को आगे बढ़ाया और तीनों आरोपियों – मुख्तियार अहमद, तारिक हुसैन और आरिफ को गिरफ्तार कर लिया। मुख्तियार कश्मीर के अनंतनाग का रहने वाला है, जबकि आरिफ और तारिक जम्मू के रियासी जिले का निवासी हैं। पुलिस ने इनका ट्रक भी सीज कर लिया है। पूछताछ में इन तीनों ने अपना अपराध कबूल कर लिया है। जांच में पता चला कि यह कट्टरपंथी पहले भी ऐसी हरकतें कर चुके हैं। दो महीने पहले भी इन्होंने इसी इलाके में एक मृत गाय फेंकी थी, जिसके बाद हिन्दू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया था। तब भी ये लोग दंगा फैलाने की अपनी साजिश में सफल नहीं हो पाए थे, लेकिन इस बार पुलिस ने इन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया। गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस के सामने कबूल किया कि उनका मकसद हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़काना था। ये लोग गोवंशों की तस्करी करते थे और ट्रकों में क्रूरता से भरते थे। इस दौरान जो गोवंश दम तोड़ देते थे, उन्हें हिन्दू इलाकों में फेंककर तनाव फैलाने की कोशिश करते थे। यह घटना इस बात को साबित करती है कि ये कट्टरपंथी लोग समाज में शांति और सौहार्द खत्म करने पर आमादा हैं। यह पहली बार नहीं है जब कट्टरपंथी मानसिकता वाले लोगों ने देश में नफरत और हिंसा फैलाने की कोशिश की है। अक्सर मुस्लिम बहुल इलाकों में हिन्दू जुलूसों पर हमले होते हैं और फिर यह झूठा आरोप लगाया जाता है कि जुलूस में भड़काऊ नारे लगाए गए। लेकिन अब तक एक भी ऐसा वीडियो सामने नहीं आया है, जिसमें हिन्दू जुलूसों से भड़काऊ नारेबाजी हुई हो। इसके उलट, पत्थरबाजी और आगजनी के सैकड़ों वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं, जो कट्टरपंथियों की हिंसक मानसिकता का पर्दाफाश करते हैं। यह घटना भी उसी मानसिकता का परिणाम है, जहां समाज में तनाव पैदा करने और दंगे भड़काने की साजिश रची गई। अगर देश में शांति और सद्भाव बनाए रखना है, तो सरकार और प्रशासन को इन दंगाइयों और उनकी जहरीली सोच से सख्ती से निपटना होगा। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कट्टरपंथियों की मानसिकता हिंसा फैलाने और समाज को तोड़ने की है। ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई और कठोर सजा ही इन साजिशों पर लगाम लगा सकती है। देश के कानून को इन तत्वों के खिलाफ बिना किसी ढिलाई के सख्त रवैया अपनाना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और देश में अमन-चैन बरकरार रहे। बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों से मिले शंकराचार्य, बोले- हिन्दुओं का दर्द नहीं समझते मोहन भागवत अजरबैजान में बड़ा प्लेन हादसा, इंजन से टकराया पक्षी और उड़ गए परखच्चे, 42 लोगों की मौत उत्तराखंड में दुखद सड़क हादसा, खाई में बस गिरने से 3 लोगों की मौत, कई घायल