अहोई अष्टमी पर किए जा सकते हैं यह विशेष प्रयोग

आप सभी को बता दें कि अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. ऐसे में इस दिन अहोई माता (पार्वती) की पूजा की जाती है साथ ही इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं. कहा जाता हैं जिन लोगों को संतान नहीं हो पा रही हो उनके लिए ये व्रत विशेष होता हैं और जिनकी संतान दीर्घायु न होती हो , या गर्भ में ही नष्ट हो जाती हो , उनके लिए भी यह व्रत बहुत ज्यादा ही शुभकारी होता है. इसी के साथ आपको बता दें कि इस बार अहोई अष्टमी 31 अक्टूबर को है. आइए जानते हैं इसके विशेष प्रयोग.

अहोई अष्टमी व्रत के विशेष प्रयोग - कहते हैं अगर संतान की शिक्षा, करियर, रोजगार में बाधा आ रही हो तो अहोई माता को पूजन के दौरान दूध-भात और लाल फूल अर्पित करना चाहिए. अब उसके बाद लाल फूल हाथ में लेकर संतान के करियर और शिक्षा की प्रार्थना करनी चाहिए और संतान को अपने हाथों से दूध भात खिलाना चाहिए. उसके बाद लाल फूल अपनी संतान के हाथों में देकर फूल को सुरक्षित रखने को कहना चाहिए. वहीं अगर संतान के वैवाहिक या पारिवारिक जीवन में बाधा आ रही हो तो अहोई माता को गुड का भोग लगायें और एक चांदी की चेन अर्पित करना चाहिए और माँ पार्वती के मंत्र - "ॐ ह्रीं उमाये नमः" 108 बार जाप करना चाहिए. इसके बाद अपनी संतान को गुड खिलाकर अपने हाथों से उसके गले में चेन पहनानी चाहिए. इसके बाद उसके सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देना चाहिए.

अब अगर संतान को संतान नहीं हो पा रही हो तो अहोई माता और शिव जी को दूध भात का भोग लगाना चाहिए और चांदी की नौ मोतियाँ लेकर लाल धागे में पिरो कर माला बनाना चाहिए और अहोई माता को माला अर्पित करने के बाद संतान को संतान प्राप्ति की प्रार्थना करनी चाहिए, वहीं पूजा के उपरान्त अपनी संतान और उसके जीवन साथी को दूध भात खिलाना चाहिए. वहीं अगर बेटे को संतान नहीं हो रही हो तो बहू को , और बेटी को संतान नहीं हो पा रही हो तो बेटी को माला धारण करनी चाहिए.

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