वायु प्रदूषण से बढ़ रहा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एयर पॉल्यूशन के कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण में मौजूद सबराचोनोइड दिमाग के अंदर ब्लीडिंग का कारण बन सकता है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। इस रिसर्च में भारत, अमेरिका, न्यूजीलैंड, ब्राजील और यूएई के वैज्ञानिकों की एक इंटरनेशनल टीम शामिल थी। रिपोर्ट के अनुसार, एयर पॉल्यूशन के कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा 14 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जिससे न केवल मृत्यु बल्कि विकलांगता का भी जोखिम है।

भारत में ब्रेन स्ट्रोक के मामले: भारत में युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले 5 सालों में इसके मामले 25 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। सबसे ज्यादा मामले 25 से 40 साल की उम्र के लोगों में देखे जा रहे हैं। इसके पीछे का मुख्य कारण खराब जीवनशैली, खानपान की आदतें, धूम्रपान और तनावपूर्ण जीवन है, जिसके कारण हाई बीपी और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।

आहार और जीवनशैली का प्रभाव: ब्रेन स्ट्रोक केवल एक समस्या नहीं है; यह शुगर और हाई बीपी की ओर भी इशारा करता है। इसके अलावा, जेनेटिक बीमारियों जैसे स्लीपिंग डिसऑर्डर, दिल की बीमारियाँ, और तनाव भी आजकल लोगों में आम हो गए हैं। युवा पीढ़ी की जीवनशैली काफी बदल गई है; वर्किंग लोग लंबे समय तक एक ही जगह बैठकर काम करते हैं, और जो घर से काम करते हैं, वे भी ज्यादा समय तक बैठे रहते हैं। इस कारण हार्ट और दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

भारत में न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का बढ़ता खतरा: भारत में कुल बीमारियों में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का प्रतिशत 10 प्रतिशत से अधिक है। बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 1 लाख 85 हजार से अधिक ब्रेन स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं। इसमें हर 40 सेकंड में एक नया मामला सामने आता है और हर मिनट में एक व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक के कारण मौत का शिकार होता है।

सुरक्षा के उपाय: ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए:

सिर में चोट से बचें: खेलते समय और रोजमर्रा के कामों में सावधानी बरतें। स्वस्थ आहार लें: अपनी डाइट में फलों और सब्जियों को शामिल करें। धूम्रपान से दूर रहें: धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, इसे छोड़ दें। तनाव प्रबंधन: योग और ध्यान से मानसिक तनाव को कम करें। नियमित व्यायाम करें: रोजाना कुछ समय व्यायाम के लिए निकालें, जिससे आपका वजन और बीपी नियंत्रित रहे।

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