पेरिस: वायु प्रदूषण से हर कोई परिचित है. दुनिया भर में वायु प्रदूषण की 'महामारी' औसतन जीवन के करीबन तीन साल कम कर देता है. इसी कारण से सालाना 8.8 मिलियन लोग समय से पहले ही मर जाते हैं. यह जानकारी वैज्ञानिकों ने बीते मंगलवार को दी है. कार्डियोवास्कुलर रिसर्च जर्नल में बताया गया है कि तेल, गैस और कोयले को जलाने से अणुओं और फेफड़ों में जमने वाले कणों के जहरीले कॉकटेल को खत्म करके जीवन प्रत्याशा को एक साल तक बढ़ाया जा सकता है. वहीं, जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के प्रमुख लेखक जोस लेलिवल्ड ने बताया है कि तंबाकू के धुएं की तुलना में वायु प्रदूषण एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम है. जीवाश्म ईंधन की जगह स्वच्छ नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके इससे काफी हद तक बचा जा सकता है. वहीं, समय से पहले मौत के अन्य कारणों की तुलना करें, तो वायु प्रदूषण हर साल मलेरिया की तुलना में 19 गुना ज्यादा लोगों को मारता है, एचआईवी/एड्स की तुलना में नौ गुना ज्यादा और शराब की तुलना में तीन गुना ज्यादा लोगों की जान लेता है. इस मामले पर मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के रसायन शास्त्र और कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ लेखक थॉमस मुंजेल ने बताया है कि हमारे परिणाम बताते हैं कि वायु प्रदूषण एक महामारी है. वायु प्रदूषण और धूम्रपान दोनों ही रोके जा सकते हैं, परन्तु बीते दशकों में धूम्रपान की तुलना में वायु प्रदूषण पर बहुत कम ध्यान दिया गया है. वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र एशिया है, जहां इसकी कारण से औसत जीवन काल चीन में 4.1 वर्ष, भारत में 3.9 वर्ष और पाकिस्तान में 3.8 वर्ष कम हो जाता है. अन्य शोधों से यह जानकारी मिली है कि इन देशों के कुछ हिस्सों में, जहरीली हवा एक भी काफी ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है. अमेरिका से शांति समझौता करने के बाद तालिबान ने मारी पलटी, अफ़ग़ानिस्तान के सामने रखी ये शर्त हिंदुत्व पर अभद्र टिप्पणियां करना ऑस्ट्रेलिया के कोषाध्‍यक्ष को पड़ा भारी, भड़क उठी हिन्दू जाति 70 देशों में कोरोना से मचा कोहराम, मरने वालों की संख्या हुई 3000