मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में अजित पवार गुट को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 'घड़ी' चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने की अनुमति दी है। हालांकि, अदालत ने एक शर्त जोड़ी है कि सभी चुनावी बैनर और पोस्टरों पर स्पष्ट रूप से यह उल्लेख होना चाहिए कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है। यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि मतदाताओं को चुनावी प्रतीक को लेकर कोई भ्रम न हो। शरद पवार गुट ने अदालत में एक याचिका दायर कर दावा किया था कि अजित पवार गुट अदालत के पिछले आदेशों का पालन नहीं कर रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार के वकील को नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि आदेश का उल्लंघन पाया गया तो अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी। अदालत की बेंच ने दोनों पक्षों को निर्देश दिया कि वे अदालत के आदेशों का सख्ती से पालन करें और उम्मीद जताई कि सभी निर्देशों का पालन किया जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को चुनाव होने हैं और इसके परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। राजनीतिक माहौल गर्म है, क्योंकि महाराष्ट्र में एनसीपी के अंदर विभाजन के बाद से अजित पवार और शरद पवार के गुटों के बीच टकराव जारी है। इस स्थिति में चुनावी चिह्न को लेकर अदालत का यह निर्देश चुनाव की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस फैसले के बाद, दोनों गुटों को अदालत के आदेश के तहत प्रचार करना होगा, ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी रह सके। अजित पवार गुट को घड़ी का प्रतीक चिन्ह तो मिला है, लेकिन उनके प्रचार सामग्री पर स्पष्ट सूचना देने की शर्त उनके लिए एक चुनौती बन सकती है। अब देखना होगा कि आगामी सुनवाई में कोर्ट का रुख क्या रहता है और दोनों गुट किस प्रकार से चुनावी मैदान में उतरते हैं। चक्रवात 'दाना' लेकर आया ठंड...! जानिए अपने राज्य के मौसम का हाल नवाब मलिक की बेटी, बाबा सिद्दीकी का बेटा, अजित गुट के टिकट पर लड़ेंगे चुनाव 'प्रवासी मुख्यमंत्री चुनाव के बाद नजर नहीं आएंगे', बोले हेमंत सोरेन