जयपुर: राजस्थान के अजमेर में स्थित प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। कोर्ट ने इस जगह के सर्वे की माँग करने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। याचिका हिन्दू पक्ष की ओर से दायर की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि दरगाह जिस स्थान पर स्थित है, वह पहले एक प्राचीन शिव मंदिर हुआ करता था। याचिका पर कोर्ट आगे सुनवाई करेगा, जिससे इस ऐतिहासिक स्थल के वास्तविक इतिहास को लेकर नई बहस छिड़ गई है। हिन्दू पक्ष ने अपने दावे के समर्थन में ऐतिहासिक तथ्यों और प्रमाणों का उल्लेख किया है। उनका कहना है कि यहाँ भगवान शिव की पूजा-अर्चना होती थी और जलाभिषेक किया जाता था। उन्होंने 1911 में प्रकाशित एक किताब का हवाला दिया है, जिसमें इस स्थान को प्राचीन शिव मंदिर बताया गया है। इसके अलावा, दरगाह के कुछ ढांचों को पुराने मंदिर की वास्तुकला से जोड़ा गया है। याचिका दायर करने वाले विष्णु गुप्ता ने यह भी कहा है कि दरगाह के नीचे तहखाने में एक गर्भगृह मौजूद है, जो मंदिर का हिस्सा हो सकता है। उन्होंने इस स्थल की वास्तविक स्थिति को स्पष्ट करने के लिए व्यापक सर्वेक्षण की माँग की है। उनका कहना है कि यह सर्वे मंदिर के इतिहास और उसके अस्तित्व को साबित करने में मददगार होगा। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस सर्वे को शांतिपूर्ण तरीके से होने दिया जाएगा। संभल की हालिया घटनाओं को देखते हुए यह चिंता उठती है कि क्या अजमेर के मुस्लिम समुदाय कोर्ट के आदेश का सम्मान करेंगे, या फिर हिंसा और उपद्रव का सहारा लेंगे? क्या यहाँ भी पुलिस पर हमले होंगे और कानून-व्यवस्था को चुनौती दी जाएगी? अजमेर शरीफ दरगाह को लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था का केंद्र मानते हैं, लेकिन इतिहास और धार्मिक धरोहर के सवाल पर यह मुद्दा बेहद संवेदनशील बन गया है। प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि सर्वे निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से हो सके। समाज के हर वर्ग को यह समझना होगा कि न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना सभी की जिम्मेदारी है, ताकि किसी भी तरह की अशांति से बचा जा सके। 'पुलिस को पत्थर ही तो मारे, जान से थोड़ी मार डाला..', संभल पर मुस्लिम महिला,Video काशी का 115 साल पुराना उदयप्रताप कॉलेज 'वक्फ' का है..! अंदर बना ली अवैध मस्जिद-मज़ार उद्धव सेना में फिर मचेगी भगदड़..! MVA से निकलना चाहते हैं गुट के कई नेता