नई दिल्ली: लोकसभा में बुधवार को अकाली दल के एक सदस्य ने मांग उठाई कि 12 दिसंबर को गुरू तेग बहादुर का शहीदी दिवस घोषित किया जाए और इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के तौर पर मनाया जाना चाहिए। जानकारी के अनुसार बता दें कि शून्यकाल में विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस, शिवसेना, अन्नाद्रमुक और तेदेपा के सदस्यों के हंगामे के बीच ही अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि आज देश भर में गुरू तेगबहादुर का बलिदान दिवस मनाया जा रहा है। वहीं उन्होंने कहा कि इस अवसर पर सरकार को 12 दिसंबर को शहीदी दिवस घोषित करना चाहिए और इस दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाना चाहिए। ड्रग माफिया कर रहे हैं युवाओं को व्हाट्स एप के जरिए टारगेट यहां बता दें कि गुरु तेगबहादुर जी का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था और उनके बचपन का नाम त्यागमल था। साथ ही उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह था। वे बाल्यावस्था से ही संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर व निर्भीक स्वभाव के थे। सिखों के नौवें गुरू गुरू तेग बहादुर भी ऐसे ही साहसी योद्धा थे, जिन्होंने न सिर्फ सिक्खी का परचम ऊंचा किया, बल्कि अपने सर्वोच्च बलिदान से हिंदू धर्म की भी हिफाजत की। बता दें कि उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब की तमाम कोशिशों के बावजूद इस्लाम धर्म धारण नहीं किया और तमाम जुल्मों का पूरी दृढ़ता से सामना किया। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी के साथ ही केदारनाथ और वैष्णो देवी मंदिर बर्फ से ढंके यहां बता दें कि गुरू तेगबहादुर के धैर्य और संयम से आग बबूला हुए औरंगजेब ने चांदनी चौक पर उनका शीश काटने का हुक्म जारी कर दिया और वह 24 नवंबर 1675 का दिन था, जब गुरू तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। बता दें कि उनके अनुयाइयों ने उनके शहीदी स्थल पर एक गुरूद्वारा बनाया, जिसे आज गुरूद्वारा शीश गंज साहब के तौर पर जाना जाता है। खबरें और भी खंडवा जिले में टेम्पो पलटने से चार की मौत, 11 घायल इंदौर: इंजीनियर ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रेमिका की गला रेत कर की हत्या मद्रास हाईकोर्ट ने रिटायरमेंट के समय सैनिक के जम्मू-कश्मीर ट्रांसफर पर लगाई रोक