लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) द्वारा एनकाउंटर के दौरान लुटेरे मंगेश यादव के मारे जाने से राजनीतिक विवाद गरमा गया है। मंगेश यादव 28 अगस्त को सुल्तानपुर में भरत जी सराफ की "ओम ऑर्नामेंट्स" ज्वेलरी शॉप में हुई हाई-प्रोफाइल डकैती में शामिल था, जिसमें 1.5 करोड़ रुपये से अधिक के कीमती सामान चोरी हुए थे। उल्लेखनीय है कि, मंगेश यादव एक वांटेड अपराधी था, जिसके सिर पर एक लाख रुपये का इनाम था और उसके खिलाफ लूट और चोरी के कई मामले दर्ज थे। 5 सितंबर को सुल्तानपुर के देहात कोतवाली के अंतर्गत मिशिरपुर पुरैना में यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के साथ मुठभेड़ के दौरान वह मारा गया। पुलिस का कहना है कि उन्होंने मुठभेड़ के दौरान आत्मरक्षा में कार्रवाई की, हालांकि, समाजवादी पार्टी (सपा) ने वांटेड अपराधी की जाति खोज निकाली है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट करते हुए आरोप लगाया है कि, उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के सुल्तानपुर डकैती में शामिल लोगों से संबंध हैं। उन्होंने दावा किया कि इन कथित संबंधों के कारण ही डकैती के दो दिन बाद रायबरेली में एक अन्य मामले में “मुख्य आरोपी” विपिन सिंह को अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया गया और अन्य गैर-यादव आरोपियों को सिर्फ दिखावे के लिए पैर में गोली मार दी गई, जबकि मंगेश यादव को उसकी जाति के कारण मार दिया गया। अखिलेश ने लिखा कि, "ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ दल के सुल्तानपुर डकैती में शामिल लोगों से गहरे संबंध थे, इसीलिए फर्जी मुठभेड़ से पहले 'मुख्य आरोपी' से संपर्क कर उसे आत्मसमर्पण कराया गया और पार्टी के अन्य लोगों को दिखावे के लिए केवल पैरों में गोली मारकर उनकी 'जाति' के आधार पर हत्या कर दी गई।" मारे गए लुटेरे के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए अखिलेश यादव ने लिखा कि, “जब मुख्य आरोपी ने आत्मसमर्पण कर दिया है, तो लूटा गया सारा माल वापस किया जाना चाहिए और सरकार को अलग से मुआवजा देना चाहिए। क्योंकि ऐसी घटनाओं से होने वाले मानसिक आघात से उबरने में काफी समय लगता है जिससे व्यापार में नुकसान होता है जिसकी भरपाई सरकार को करनी चाहिए।” योगी सरकार पर फर्जी एनकाउंटर के अपने आरोपों को दोहराते हुए अखिलेश ने कहा, "फर्जी एनकाउंटर रक्षक को भक्षक बना देते हैं। इसका समाधान फर्जी एनकाउंटर नहीं, बल्कि असली कानून व्यवस्था है। भाजपा राज अपराधियों के लिए अमृत है। जब तक जनता का दबाव और गुस्सा चरम पर नहीं पहुंच जाता, तब तक लूट में हिस्सेदारी का काम चलता रहता है और जब लगता है कि जनता उन्हें घेर लेगी, तब दिखावटी मरहम के तौर पर फर्जी एनकाउंटर कर दिए जाते हैं। जनता समझती है कि कैसे कुछ लोग बच जाते हैं और कैसे कुछ फंस जाते हैं। पूरी तरह निंदनीय!" एक रिपोर्ट के अनुसार, लाल बिहारी यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मृतक अपराधी मंगेश यादव के घर जाकर संवेदना व्यक्त करेगा। ऐसा लगता है कि यह अखिलेश यादव की यादव समुदाय के एकमात्र नेता के रूप में स्थिति को मजबूत करने का प्रयास है, भले ही इसका मतलब अपराधी का पक्ष लेना हो। हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि सपा ने अपराधियों का पक्ष लिया है। हाल ही में अयोध्या दुष्कर्म मामले में अखिलेश यादव ने अयोध्या में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने वाले मामले के आरोपियों का DNA टेस्ट कराने की मांग की थी। इस मामले में अयोध्या प्रशासन ने नाबालिग लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के मुख्य आरोपी सपा नेता मोईद खान की बेकरी को ध्वस्त कर दिया था। पिछले साल जब उमेश पाल हत्याकांड के दोनों आरोपी गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद के बेटे गुलाम मुहम्मद और असद अहमद पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे, तब अखिलेश यादव ने मारे गए अपराधी के बचाव में उतरकर मुठभेड़ को फर्जी बताया था। यह तब हुआ जब घटना के CCTV फुटेज में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि मारे गए दोनों अपराधी उमेश पाल का पीछा कर रहे थे और उस पर पिस्तौल से हमला कर रहे थे। अखिलेश यादव ने मृतक गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के प्रति अपने प्रेम का इजहार किया है। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी पर पलटवार करते हुए कहा है कि वह मुख्तार अंसारी और मंगेश यादव जैसे अपराधियों का समर्थन करती है और उनके प्रति संवेदना व्यक्त करती है। समाजवादी पार्टी नेताओं द्वारा गैंगस्टर मंगेश यादव के घर जाने पर भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि "अपराधियों के समर्थन में समाजवादी पार्टी किस हद तक जाएगी? अब समाजवादी पार्टी अपराधियों के घर संवेदना जताने जाती है। पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव मुख्तार अंसारी के घर संवेदना जताने जाते हैं और अब मंगेश यादव।" क्या था मामला ? लूट की यह घटना सुल्तानपुर जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र के ठठेरी बाजार में हुई। बाजार में भरत जी सर्राफ ओम ऑर्नामेंट्स ज्वैलरी शॉप नाम से दुकान चलाते हैं। 28 अगस्त की सुबह 10 बजे भारती जी और उनके बेटे ने अपनी ज्वैलरी की दुकान खोली और काम करने लगे। दुकान पर रोज की तरह लोग आए हुए थे। दोपहर करीब 12 बजे दुकान में दो ग्राहक बैठे हुए थे। इस बीच, एक आरोपी ने अपने चेहरे पर रूमाल बांधकर दुकान में प्रवेश किया और भरतजी और उनके बेटे पर बंदूक तान दी। दुकान में बैठे पिता-पुत्र और दोनों ग्राहक हैरान रह गए। इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते, गिरोह का एक और सदस्य हेलमेट पहने और काला बैग लेकर आता दिखाई दिया। इसके बाद, तीन और बदमाश दुकान में घुसे और लूटपाट की। दुकान मालिक ने विरोध किया तो एक लुटेरे ने उसके सिर पर बंदूक तान दी, जबकि बाकी दो ने दुकान के अंदर मौजूद दो ग्राहकों पर पिस्तौल तान दी। इस बीच, तीन अन्य ने दुकान से कीमती सामान समेट लिया। घटना की सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि लुटेरे मिनटों में 1 करोड़ 40 लाख रुपये के जेवरात लूटकर बाइक से फरार हो गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुल 12 लुटेरे थे, जो 3 टीमों में बंटे हुए थे। पहली टीम में पुष्पेंद्र, त्रिभुवन और सचिन शामिल थे, जिन्होंने लूट की योजना बनाई थी। इनमें से त्रिभुवन ने एक बोलेरो कार का भी इंतजाम किया था। लूट के बाद बदमाश इसी बोलेरो में जेवर लेकर रायबरेली भाग गए थे। दूसरे ग्रुप में विपिन सिंह, विनय शुक्ला, अजय यादव, अरविंद यादव, विवेक सिंह और दुर्गेश सिंह शामिल थे। ये लूट की वारदातों को अंजाम देने वाले अपराधियों को मदद मुहैया कराते थे। तीसरे ग्रुप में फुरकान, अनुज प्रताप, अरबाज, मंगेश यादव और अंकित यादव शामिल थे, जिन्होंने दिनदहाड़े दुकान लूट ली। यूपी पुलिस के अनुसार, मंगेश यादव अपराध के मुख्य संदिग्धों में से एक था और एक बड़े गिरोह का सदस्य था। गिरोह के कई अन्य सदस्यों को पहले ही पकड़ा जा चुका था, लेकिन यादव की कथित तौर पर पुलिस पर गोली चलाने के बाद मौत हो गई। शुरुआत में पुलिस ने बताया कि आरोपी लुटेरे पांच थे, लेकिन आगे की जांच में 12 लोगों के शामिल होने का पता चला। नतीजतन, यूपी पुलिस ने 12 आरोपियों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम रखा और उनकी तलाश शुरू कर दी। कथित गिरोह के सरगना विपिन सिंह ने रायबरेली में आत्मसमर्पण कर दिया, जबकि सचिन सिंह, पुष्पेंद्र सिंह और त्रिभुवन उर्फ लाला हरिजन को मंगलवार को नगर कोतवाली के गोड़वा गांव में मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार कर इलाज के बाद जेल भेज दिया गया। गुरुवार (5 सितंबर) को जौनपुर जिले के अंगरौरा निवासी आरोपी मंगेश यादव ने पुलिस पर फायरिंग की, जवाबी कार्रवाई में यूपी एसटीएफ के दरोगा धर्मेंद्र शाही ने यादव को गोली मार दी। पुलिस ने बदमाशों के पास से करीब 15 किलो चांदी के जेवर, 38,500 रुपये नकद, चोरी की एक बाइक, 3 अवैध तमंचे, 3 कारतूस और 6 खोखे भी बरामद किए हैं। अखिलेश यादव के "जाति आधारित फर्जी मुठभेड़" के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए यूपी एसटीएफ सीओ धर्मेंद्र शाही ने बस इतना कहा : "मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। हर किसी की अपनी राय होती है।" मंगेश यादव पर लूट और चोरी के 8 मामले दर्ज बता दें कि मंगेश यादव पर चोरी और लूट के करीब 8 मुकदमे दर्ज थे। 2021 में जिले के करौंदीकला थाने में मंगेश यादव के खिलाफ चोरी और बरामदगी का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। 2022 तक उसके खिलाफ छह मुकदमे दर्ज थे। 2023 में करौंदीकला थाने में उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी। 2024 में जौनपुर में बाइक चोरी की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। चोरी की गई बाइक का इस्तेमाल सुल्तानपुर में आभूषण लूट में किया गया था। 28 अगस्त 2024 को उसका नाम सुल्तानपुर में सर्राफा लूटकांड में आया था। गुरुवार की सुबह पुलिस मुठभेड़ में वह मारा गया और इस तरह उसके चार साल के आपराधिक जीवन का अंत हो गया। मंगेश यादव मारा गया है, तीन अन्य गिरफ्तार हो चुके हैं और विपिन सिंह ने आत्मसमर्पण कर दिया है, जबकि फुरकान, अनुज प्रताप सिंह, अरबाज, विनय शुक्ला, अंकित यादव, अजय यादव, अरविंद यादव, विवेक सिंह और दुर्गेश प्रताप सिंह अभी भी फरार हैं। हलफनामा: 7 साल से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र रैना की संपत्ति शून्य, हाथ में सिर्फ 1000 'इजराइल को हथियार ना बेचे भारत..', सुप्रीम कोर्ट पहुंचे प्रशांत भूषण समेत 11 दिग्गज वकील दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट बना भारत ! अमेरिका को छोड़ा पीछे