पुरानी बात हो गई बसपा से दुश्मनी- अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश की राजनीती अच्छे-अच्छों की समझ के बाहर है. इसका एक ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब फूलपुर और गोरखपुर उप लोकसभा चुनावों में प्रदेश की दो कट्टर प्रतिद्वंती पार्टियों ने एक दूसरे का हाथ थाम लिया. माया कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का साथ रंग भी लाया और उप चुनावों का परिणाम भी पार्टियों के पक्ष में आया. अब बुआ और बबुआ का साथ आगे भी देखने को मिलेगा इस बात की पुष्टि खुद सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की है.

अखिलेश का कहना है कि मायावती और उनकी पार्टी के साथ 23 साल पुरानी कड़वाहट अब 'पुरानी बात हो गई.' अपने एक इंटरव्यू के दौरान अखिलेश ने कहा कि, "इस समय प्रासंगिक यही है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए दोनों पार्टियां एक-दूसरे का हाथ थामे आगे बढ़ रही हैं." उन्होंने मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि भाजपा देश और राज्य दोनों को नुकसान पहुंचा रही है.

अखिलेश ने कहा, 'बसपा-सपा गठबंधन एक ऐसा जोड़ है, जो मगरूर और बेकार भाजपा सरकार को करारी शिकस्त देगा.' सपा सुप्रीमों ने कहा कि भाजपा अक्सर उपहास उड़ाती रहती है कि विपक्ष के पास उससे मुकाबले के लिए कोई आधार नहीं है. उन्होंने कहा बसपा और सपा के साथ आने के बाद आखिरकार वह आधार मिल गया है.

 

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