लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में मिली शिकस्त के बाद सपा अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सबक लिया है. यही कारण है कि अब अखिलेश अपने मूल वोटबैंक वापस लाने के प्रयास में जुट गये हैं. हाल ही में अखिलेश ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि यदि सपा की सरकार बनती है तो चाचा शिवपाल को मंत्री पद दिया जाएगा. अखिलेश की यह पहल परिवार को एक कर अपने मूल वोटबैंक को वापस लाने की तरफ इशारा कर रही है. दरअसल, यादव परिवार में फूट के बाद सपा को निरंतर नुकसान ही हुआ है. वहीं, दूसरी ओर भाजपा का जो विजय रथ चल रहा है उसे रोक पाने के लिए अखिलेश को शिवपाल को अपने पाले में लाना आवश्यक है. उनकी पार्टी में भले ही युवा कार्यकर्ता मौजूद हों, किन्तु अभी शिवपाल जैसे अनुभव वाले नेताओं की कमी नज़र आती है. उपचुनाव के परिणामों ने विपक्षी दलों को अपने भविष्य की चिंता भी सता रही है. यही वजह है कि बसपा सुप्रीमो और पूर्व सीएम मायावती ने प्रदेश अध्यक्ष बदलकर अतिपिछड़े को जिम्मा सौंपा है. और अब अखिलेश भी अपने परंपरागत वोटों को बचाने कि कोशिश कर रहे हैं. सियासी विशेषज्ञों की मानें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में यादव परिवार की फूट की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था. पिछले चुनाव में सपा को केवल 50 सीटें मिली थी. तभी से पार्टी को अहसास हो गया था यह फूट उनके सियासी अस्तित्व के लिए खतरा बन रही है. नुकसान की भरपाई करने के लिए अखिलेश ने लोकसभा चुनाव में अपनी कट्टर विरोधी पार्टी बसपा से गठबंधन कर शिवपाल से हुए नुकसान को भरने की कोशिश की, किन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली. इसी वजह से अखिलेश अब परिवार को एक करने में लग गये हैं. शिक्षा मंत्री के इस्तीफे पर तेजस्वी का हमला, कहा- एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी नितीश जी मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हफ़ीज़ सईद को 10 साल की जेल, पाक अदालत ने सुनाई सजा बिहार: कांग्रेस की हार पर बोले चिदंबरम, कहा- महागठबंधन के जीतने की उम्मीद थी लेकिन ....