लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को सलाह देते हुए कहा है कि, वे अपना ऐसा व्यवहार रखें कि किसी को शिकायत न हो। अखिलेश ने कहा कि, सभी कार्यकर्ताओं का नेताओं का व्यवहार शिष्टाचार युक्त होना चाहिए। दिन पर दिन गिर रहे सपा के ग्राफ को उठाने के लिए अखिलेश ने कहा कि, कार्यकर्ता परस्पर सम्मान और विश्वास से सपा का ग्राफ जनता के बीच ऊंचा उठेगा। अखिलेश ने सपा नेता और कार्यकर्ताओं से कहा कि, कोई भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले बयान न दें। बता दें कि बीते कई दिनों से सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य कई दफा हिन्दू धर्म को लेकर उलजुलूल बयानबाजी कर चुके हैं। स्वामी कभी रामचरित मानस पर अपमानजनम टिप्पणी करते दिखे, तो कभी संत समाज को उन्होंने आतंकी कह डाला था। यहाँ तक कि, नए संसद के उद्घाटन को लेकर भी सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य चुप नहीं रहे और विवादित प्रतिक्रिया दे डाली थी। स्वामी ने नई संसद के उद्घाटन के दौरान सेंगोल राजदंड की स्थापना को लेकर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि इस अवसर पर सभी धर्मगुरुओं को बुलाना चाहिए था। हालाँकि, शायद स्वामी ने देखा नहीं, लेकिन कार्यक्रम में सभी धर्म के गुरु मौजूद थे, यहाँ तक कि संसद के अंदर कुरान का पाठ भी हुआ। लेकिन, स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा था कि 'सेंगोल राजदंड की स्थापना पूजन में केवल दक्षिण के कट्टरपंथी ब्राह्मण गुरुओं को बुलाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा सरकार का यदि पंथनिरपेक्ष संप्रभु-राष्ट्र भारत में विश्वास होता तो देश के सभी धर्म गुरुओं यथा- बौद्ध धर्माचार्य (भिक्षुगण), जैन आचार्य (ऋषि), गुरु ग्रंथी साहब, मुस्लिम धर्मगुरु (मौलाना), ईसाई धर्मगुरु (पादरी) आदि सभी को आमंत्रित किया जाना चाहिए था। ऐसा न कर भाजपा अपनी दूषित मानसिकता और घृणित सोच को दर्शाया है। यद्यपि कि भाजपा सरकार सेंगोल राजदंड की स्थापना कर राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है अपितु दक्षिण के ब्राह्मण धर्मगुरुओं को बुलाकर ब्राह्मणवाद को भी स्थापित करने का कुत्सित प्रयास कर रही है।' 'मध्य प्रदेश में हम 150 सीटें जीतेंगे..', राहुल गांधी के दावे पर क्या बोले शिवराज सिंह ? नौ साल में मोदी सरकार ने विश्वस्तर पर बढ़ाया भारत का मान- सीएम योगी आदित्यनाथ वीर सावरकर के नाम पर रखा जाएगा बांद्रा-वर्सोवा ब्रिज का नाम, सीएम एकनाथ शिंदे ने किया ऐलान