कुछ ऐसी है उत्तर-प्रदेश में अखिलेश की दीवानगी...

सच ही कहा है किसी ने की बेटे के ऊपर से माँ का साया उठ जाए तो उसकी परवरिश में कमी रह जाती है, ऐसा ही कुछ हुआ उत्तर प्रदेश में, जहाँ यूपी के सीएम अखिलेश यादव को उन्ही के पिता ने उन्हें खुद की पार्टी से अलग करने का फरमान जारी कर दिया, दरसल बचपन में ही इनकी माँ का देहांत हो गया था, और एक माँ और बाप की परवरिश में कितना अंतर होता है शायद ये बताने की ज़रूरत नहीं है.

दरसल उत्तर-प्रदेश की राजनीति एक नए मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है, जहाँ सपा-सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार शाम एक बड़ा फैसला लेते हुए यूपी के सीएम अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया,देश की सबसे बड़ी राजनितिक पार्टी अपने ही पारिवारिक कलह के कारण दो गुटों में बट गई ,दरसल देश की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी सीएम को उसके पिता ने ही पार्टी से बहार कर दिया हो .

वही बचपन से ही अपने दादा-दादी का लाडला यह लड़का आज अपने पिता और चाचा के राजनितिक चक्रव्यूह में फसकर अलग हो गया,

उत्तर-प्रदेश की जनता के लिए सबसे ज़्यादा सोचने वाली बात ये है की जो बाप अपने बेटे का नहीं हुआ क्या वो जनता का हो सकता हो सकता है ...शायद नहीं..?

कुछ ऐसा है अखिलेश यादव का सफरनामा..

-अखिलेश का जन्म एक जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था.

-इनकी शुरुवाती पढ़ाई इटावा में हुई,और आगे की पढ़ाई इन्होंने राजस्थान सैनिक स्कूल की.

-एनवायरमेंटल टेक्‍नोलोजी में ग्रेजुएशन की पढ़ाई इन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से की.

-ऑस्ट्रेलिया के सिडनी यूनि‍वर्सि‍टी से पोस्‍ट ग्रेजुएशन कि‍या -

24 नवंबर 1999 को डिंपल के साथ इनकी शादी हुई.

-अदिति, टीना और अर्जुन 3 बच्चे हैं

-इनकी पत्नी डिम्पल यादव कन्नौज से निर्विरोध सांसद है.

-पहली बार साल 2000 में इन्होंने कन्नौज लोकसभा सीट से उपचुनाव जीता,और राजनीति में आये.

-अखि‍लेश यादव साल 2000-2004, 2004-2009, 2009-2012 तक तीन बार सांसद भी रहे.

-साल 2012 में उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

तो आइये आज हम आपको बताते है, उत्तर-प्रदेश में कैसी है अखिलेश यादव की दीवानगी ....

आज सपा-सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव द्वारा यूपी के सीएम अखिलेश यादव को समाजवादी-पार्टी से अलग करने के बाद उत्तर प्रदेश की जनता में अखिलेश को लेकर जो दीवानगी, जो पागलपन, जो जूनून देखने को मिल रहा है शायद उसे शब्दो में बया करना थोड़ा मुश्किल होगा...

दरसल जैसे ही लोगो पता चला की अखिलेश को समाजवादी-पार्टी से निकाल दिया गया है वैसे ही अपने चहेते नेता के घर भारी संख्या में समर्थको की भीड़ जमा हो गई, लोग सड़को पर आंदोलन करने के लिए उतर आये, चीखने लगे, चिल्लाने लगे, अखिलेश के घर के बहार उग्र प्रदर्शन करने लगे, मुलायम और शिवपाल के पोस्टर फाड़े जाने लगे, तो किसी ने अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आत्मदाह करने की भी कोशिश की. किसी नेता के लिए ऐसी दीवानगी बहुत कम ही देखने को मिलती है .

वही एक शख्स ने अखिलेश के व्यक्तित्व को अपनी कविता के माध्यम व्यक्त किया है....

किसान का मैं पुत्र हूँ, परिश्रम से युक्त हूँ,

पथ मेरा सुगम नहीं, आत्मा से शुद्ध हूँ,

कठिनाई युक्त राहपर, चलने में उपयुक्त हूँ,

अखिलेश हूँ किसान का, हर दाग से मैं मुक्त हूँ.

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