हिन्दू धर्म में वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जा रहा है। जी हाँ इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार आज यानी 3 मई 2022 को मनाया जा रहा है। आप सभी को यह तो जानकारी होगी ही कि अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा है और इस दिन सोना खरीदना काफी शुभ भी माना जाता है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि इससे सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि इस दिन सोना-चांदी खरीदने के अलावा लक्ष्मी-नारायण की पूजा भी की जाती है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की खास पूजा-अर्चना करने से घर में कभी भी पैसों की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ता। इसके अलावा इस दिन श्री सूक्तम का पाठ करने से घर में सुख-शांति के साथ समृद्धि बनी रहती है। ॐ हिरण्यवर्णाम हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥१॥ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम्॥२॥ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम्। श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मादेवी जुषताम्॥३॥ कांसोस्मितां हिरण्यप्राकारां आद्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्। पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वयेश्रियम्॥४॥ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियंलोके देव जुष्टामुदाराम्। तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे॥५॥ आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तववृक्षोथ बिल्व:। तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मी:॥६॥ उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्चमणिना सह। प्रादुर्भुतो सुराष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृध्दिं ददातु मे॥७॥ क्षुत्पपासामलां जेष्ठां अलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्। अभूतिमसमृध्दिं च सर्वानिर्णुद मे गृहात॥८॥ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्। ईश्वरिं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम्॥९॥ मनस: काममाकूतिं वाच: सत्यमशीमहि। पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्री: श्रेयतां यश:॥१०॥ कर्दमेनप्रजाभूता मयिसंभवकर्दम। श्रियं वासयमेकुले मातरं पद्ममालिनीम्॥११॥ आप स्रजन्तु सिग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे। नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले॥१२॥ आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टि पिङ्गलां पद्ममालिनीम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥१३॥ आर्द्रां य: करिणीं यष्टीं सुवर्णां हेममालिनीम्। सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आवह॥१४॥ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्॥१५॥ य: शुचि: प्रयतोभूत्वा जुहुयाादाज्यमन्वहम्। सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकाम: सततं जपेत्॥१६॥ पद्मानने पद्मउरू पद्माक्षि पद्मसंभवे। तन्मे भजसि पद्मक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्॥१७॥ अश्वदायै गोदायै धनदायै महाधने। धनं मे लभतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे॥१८॥ पद्मानने पद्मविपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि। विश्वप्रिये विष्णुमनोनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि संनिधस्त्वं॥१९॥ पुत्रपौत्रं धनंधान्यं हस्ताश्वादिगवेरथम्। प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे॥२०॥ धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्योधनं वसु। धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरूणं धनमस्तु मे॥२१॥ वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृतहा। सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिन:॥२२॥ न क्रोधो न च मात्सर्य न लोभो नाशुभामति:। भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत्॥२३॥ सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांसुकगन्धमाल्यशोभे। भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीदमह्यम्॥२४॥ विष्णुपत्नीं क्षमां देवी माधवी माधवप्रियाम्। लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम्॥२५॥ महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि। तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्॥२६॥ श्रीवर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते। धान्यं धनं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायु:॥२७॥ ॥इति श्रीसूक्तं समाप्तम॥ अक्षय तृतीया पर इन मन्त्रों में से किसी एक के जाप से लखपति बन सकते हैं आप क्या है अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी खरीदने का मुहूर्त, जानिए क्यों खरीददारी को माना जाता है शुभ एक लौंग बना देगी आपको मालामाल, बस सुबह करें ये काम