एलन चाउ भारतीय कानूनों को ताक पर रखकर पहुंचा था सेंटिनेल द्वीप

पोर्ट ब्लेयर: अंडमान के संरक्षित आदिवासियों के हाथों मारे गए एक अमेरिकी नागरिक एक ईसाई मिशनरी होने के बजाय एडवेंचर स्पोर्ट्स का उत्साही जरूर था। लेकिन उसने अंडमान के सर्वोच्च संरक्षित द्वीप में अवैध रूप से पहुंचने के लिए भारतीय कानूनों को ताक पर रख दिया था। जानकारी के अनुसार बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को बयान जारी करके कहा है कि अंडमान एवं निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से 50 किमी दूर अति संरक्षित उत्तरी सेंटिनेल द्वीप में पहुंचने के लिए 27 वर्षीय अमेरिकी नागरिक जॉन एलेन चाउ ने कानून को तोड़ते हुए वहां जाने के संबंध में पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी थी।

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वहीं उन्होने वन विभाग और स्थानीय प्रशासन से भी सेंटिनेल द्वीप पर जाने के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्व नवपाषाण युग के सेंटिनली आदिवासी बेहद आक्रामक स्वभाव के हैं। यह सुनामी से खुद को बचाने में कामयाब रहे थे। भारतीय संविधान में संरक्षित इन 60 हजार साल से भी पुराने आदिवासियों को किसी भी बाहरी के संपर्क में आना पसंद नहीं है। वर्ष 2006 में दो मछुआरों की नाव इस 60 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले द्वीप के पास डूबने पर उनके शवों को लाने के भारतीय तटरक्षक दल के हेलीकॉप्टर को भेजा गया था। लेकिन आदिवासियों के हेलीकॉप्टर पर तीरों से हमला करने के बाद उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा था।

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गौरतलब ​है कि इस मामले में अब सरकार गंभीर होती दिखाई दे रही है। वहीं संबंधित अधिकारी ने बताया कि इस द्वीप पर वह सही तरीके से जनगणना भी नहीं कर पाते हैं। वह वहां रहने वाले लोगों का अंदाजा केवल द्वीप का हवाई सर्वेक्षण करके लगाते हैं। बता दें कि उत्तरी सेंटिनेल द्वीप अंडमान के उन 29 द्वीपों में से एक है, जहां जून तक विदेशियों को जाने के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है। इसे प्रतिबंधित क्षेत्र का परमिट रैप कहा जाता है। 

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