कश्मीर की स्वतंत्रता के पेरोकार हैं गिलानी

भारत देश में सैय्यद अली शाह गिलानी का नाम शायद ही कोई न जानता हो, बता दें कि सैय्यद अली शाह गिलानी भारत के एक पाकिस्तान परस्त इस्लामिक अलगाववादी व्यक्ति हैं। 88 वर्षीय गिलानी का जन्म 29 सितम्बर 1929 में हुआ था। जिनका नाम मुख्य रूप से कश्मीर में आतंकवाद को बढावा देने में सामने आया और वे कश्मीर को पाकिस्तान में विलय करने के समर्थक हैं। गिलानी भारत के शीर्ष पर स्थित जम्मू कश्मीर के प्रमुख अलगाववादी नेता हैं। वह पहले जमात ए इस्लामी कश्मीर के एक सदस्य थे, लेकिन बाद में इन्होने तहरीक ए हुर्रियत के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की।

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वर्तमान समय में यह हुर्रियत कांफ्रेंस के सभी दलों के अध्यक्ष हैं। जो जम्मू और कश्मीर में अलगाववादी दलों का एक समूह है। बता दें कि गिलानी जम्मू कश्मीर के सोपोर क्षेत्र के पूर्व विधायक भी हैं, सैय्यद अली शाह गिलानी कश्मीर में बहुत लोकप्रिय हैं और वहाँ की जनता उन्हें बाबा कहकर बुलाती है। 

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गौरतलब है कि अलगाववादी नेता सैय्यद अलीशाह गिलानी को भारत सरकार ने भारतीय नागरिक बने रहने लिए और भारत के प्रति ही वफादार बने रहने की शपथ और लिखित घोषित शपथपत्र पर हस्ताक्षर कराए ​हैं। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर में आतंकवाद और रक्तपात में वृद्धि के लिए गिलानी को दोषी ठहराया है और उनके पिता और केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गिलानी से आग्रह किया है कि वह ऐसा मार्ग अपनाए जो कश्मीर के लोगों को विनाश से बचा ले। वहीं गिलानी पर आरोप लगा है कि वह 1990 में जम्मू कश्मीर विधानसभा में अपनी सदस्यता के लिए अभी भी सरकार की ओर से पेंशन प्राप्त करते हैं।

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