'यूक्रेन से सभी भारतीय आ चुके वपास..', सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मामले में कुछ नहीं बचा, बंद कर रहे केस

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा है कि उसने युद्ध की मार झेल रहे यूक्रेन में फंसे 22,500 भारतीय छात्रों को निकालने का ‘बहुत बड़ा काम’ पूरा कर लिया है, जिसके बाद अदालत ने इस मामले से संबंधित दो मुकदमों को सोमवार को बंद कर दिया. मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की बेंच ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की उन दलीलों पर गौर किया कि केंद्र सरकार यूक्रेन में फंसे छात्रों को वापस लाने के अलावा युद्ध के कारण अधूरी रह गई उनकी पढ़ाई के बारे में भी गौर कर रही है.

अदालत ने सुनवाई की शुरुआत में कहा कि, ‘चूंकि छात्र वापस आ चुके हैं, तो अब इस मामले में कुछ बचा नहीं है.’ जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील विशाल तिवारी ने युद्धग्रस्त देश से बचा कर लाए गए स्टूडेंट्स की पढ़ाई जारी रहने का मुद्दा भी उठाया. वेणुगोपाल ने कहा कि, ‘सरकार ने काफी बड़ा काम किया है और 22,500 छात्रों को वापस भारत लाया गया है. सरकार स्टूडेंट्स के प्रतिवेदन पर विचार कर रही है और इसे देखेगी. सरकार को फैसला लेने दीजिए.’ जिसके बाद अदालत ने अटॉर्नी जनरल की दलीलों पर गौर करते हुए मामलों को बंद करने का फैसला लिया.

सुप्रीम कोर्ट ने चार मार्च को उन दलीलों पर गौर किया था, जिनमें कहा गया था कि सरकार ने अभी तक यूक्रेन से 17,000 भारतीय स्टूडेंट्स को निकाला है. वह तिवारी और बेंगलुरु की रहने वाली फातिमा अहाना की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की कार्यवाही के दौरान यूक्रेन मसले पर संसद में बयान दिया था. विदेश मंत्री ने संसद में बताया था कि कड़ी चुनौतियों के बाद भी सरकार ने यूक्रेन में फंसे 22,500 लोगों को रेस्क्यू किया है.

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