प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट से पूछा है कि प्रदेश में कितने ऐसे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां एक भी स्टूडेंट नहीं पढ़ रहा है। कोर्ट ने परिषदीय स्कूलों की खस्ता हालत और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर भी गवर्नमेंट से जानकारी की मांग की है। केस की सुनवाई कर रही 2 जजों की खंडपीठ ने यह आदेश नंदलाल की जनहित याचिका पर दे दिया है। याचिका में प्रयागराज के दारागंज स्थित उच्च प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालय सहित कई विद्यालयों की बदहाल स्थिति का हवाला भी दिया जा चुका है। केस में प्रतिपक्षी खंड शिक्षाधिकारी की एक जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कोर्ट को बोला गया है कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय में वर्तमान में एक भी स्टूडेंट पढ़ाई नहीं कर रहा है, ऐसा अध्यापकों व शिक्षा विभाग की लापरवाही की वजह से है। इसी प्रकार अन्य विद्यालयों में शिक्षा का स्तर बहुत बेकार हो चुके है। कई शिक्षकों को कक्षा 4 के स्तर की अंग्रेजी भी नहीं आती है। हिंदी भी शुद्ध नहीं है। विज्ञान के फॉर्मूले मालूम नहीं हैं। याची की ओर से कहा गया कि विद्यालयों की दुर्दशा की वजह से अभिभावक अपने बच्चों को परिषदीय विद्यालयों में नहीं भेज रहे हैं जिससे स्टूडेंट का आंकड़ा शून्य हो चुका है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए स्टेट गवर्नमेंट से पूरे प्रदेश के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का आंकड़ा का रिकॉर्ड मांगा है। '40,000 सालों से भारत के सभी लोगों का DNA एक है': मोहन भागवत सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल को PM मोदी ने दिया मदद का आश्वासन 'ओमीक्रॉन' के बढ़ते मामलों के बीच कहर बरपा रहा है कोरोना, सामने आए इतने संक्रमित केस