नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव में राजनितिक दलों ने जमकर वादे करने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी ने वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो देश के 25 प्रतिशत गरीब परिवारों को प्रतिवर्ष 72,000 रुपये प्रदान किए जाएंगे। इस वादे को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के विरुद्ध मानते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कांग्रेस पार्टी को नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी कर अदालत ने सवाल किया है कि इस तरह की घोषणा मतदाताओं को रिश्वत देने की कैटगरी में क्यों नहीं आती और क्यों न पार्टी के विरुद्ध पाबंदी या दूसरी कोई कार्रवाई की जाए। अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग से भी जवाब तलब किया है। कांग्रेस पार्टी और निर्वाचन आयोग को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। अदालत ने माना है कि इस तरह के ऐलान रिश्वतखोरी व वोटरों को प्रभावित करने का प्रयास है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर और एसएम शमशेरी की डिवीजन बेंच ने वकील मोहित कुमार और अमित पाण्डेय की जनहित याचिका पर दिया है। याचियों का कहना है कि इस घोषणा को घोषणापत्र से हटा दिया जाए। साथ ही याचियों के 3 अप्रैल 2019 को निर्वाचन आयोग को भेजे गये प्रत्यावेदन को निर्णीत किया जाए। खबरें और भी:- 26/11 के शहीद अफसर पर साध्वी प्रज्ञा का आपत्तिजनक बयान, अब दिग्गी राजा ने कहा .... पाक में हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्मान्तरण, लोगों ने जमकर किया विरोध प्रदर्शन बीजेपी की बढ़ी हुई ताकत देख सभी राजनीतिक दलों में मची खलबली : अनिल विज