लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर रोक लगाने से मना कर दिया है। इस संबंध में मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। बता दें कि यह यूनिवर्सिटी सपा सांसद और यूपी सरकार के पूर्व मंत्री आजम खान से जुड़ी हुई है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ट्रस्ट को जिन शर्तों पर 2005 में भूमि दी गई थी, उनमें से कुछेक का पालन करने में वह नाकाम रहा है। कोर्ट ने माना कि यूनिवर्सिटी की जमीन को राज्य सरकार के कब्जे में लेने के लिए रामपुर प्रशासन ने जो कार्रवाई की है, उसमें दखल दिए जाने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने यह भी माना कि ट्रस्ट ने अवैध तरीके से जमीन पर कब्जा किया। साथ ही कोर्ट ने यूनिवर्सिटी कैंपस में मस्जिद निर्माण को भी शर्तों का उल्लंघन माना। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने कहा कि ट्रस्ट को सिर्फ शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए जमीन के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है। ऐसे में SDM की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि ‘मस्जिद’ का निर्माण शर्त का उल्लंघन है। खंडपीठ ने कहा कि, 'यूनिवर्सिटी कैंपस में रहने वाले शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए मस्जिद निर्माण की दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह राज्य द्वारा दी गई इजाजत के खिलाफ है।' बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार के मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी अधिनियम, 2005 से इस यूनिवर्सिटी के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था। यूनिवर्सिटी के लिए 471 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। किन्तु अब सिर्फ 12.50 एकड़ भूमि ही ट्रस्ट के पास रहेगी। ट्रस्ट को सरकार ने नवंबर 2005 में 400 एकड़, जनवरी 2006 में 45.1 एकड़ और सितंबर 2006 में 25 एकड़ जमीन अधिग्रहण की अनुमति दी थी। किन्तु SDM की रिपोर्ट में बताया गया है कि महज 24000 वर्गमीटर जमीन में ही निर्माण हो रहा है जो शर्तों का उल्लघंन है। इसके साथ ही अनुसूचित जाति के लोगों की भूमि भी नियमों की अनदेखी कर ली गई। BBC है नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट के प्रवक्ता फहीम दश्ती की हत्या का जिम्मेदार ? सेंसेक्स और निफ्टी में आया नया बदलाव, जानिए क्या है बाजार का हाल भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इतने प्रतिशत की हुई वृद्धि