गुवाहाटी. पच्चीस करोड़ के बकाया बोझ के तले दबा असम राज्य आवास परिषद(हाउसिंग बोर्ड), इससे उबरने के लिए अब पुराने तरीकों को छोड़ नए रास्ते पर चलने का फैसला किया है. सात माह पहले अध्यक्ष का दायित्व संभालने वाले पूर्व विधायक जादव डेका के मुताबिक हाउसिंग बोर्ड को डूबने से बचाने के लिए किराए पर घर आवंटन की पुरानी परिपाटी को छोड़ना होगा.अब हाउसिंग बोर्ड के पास बिना लाभ-हानि के किफायती फ्लैट बेंचने के सिवा कोई चारा नहीं बचा. दस साल से भी अधिक से अपने लिए कम किराए के एक अदद सरकारी फ्लैट के इंतजार में दस हजार से ज्यादा लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं. बहुत से लोगों ने कईं तरीकों से अपनी पहुंच के मुताबिक सिफारिशें भी लगवाई हैं. पर लोगों का कहना है कि कई सुपात्र लोगों को इतने साल बाद भी घर नहीं मिले, जबकि बहुतों ने एक से अधिक फ्लैट पाने पर कब्जा कर रखा है. बोर्ड ने कथित तौर पर इन कब्ज़ा जमाए बैठे लोगों से घरों को मुक्त करवाने की काफी कोशिशें कीं, पर सफल नहीं हो पाया. डेका ने माना कि अतीत में बहुत सारी गड़बड़ियों की जानकारियाँ सामने आई हैं. किताब पढ़ते-पढ़ते हो गया प्यार, फिर बदला धर्म सड़क वाले बयान पर शिवराज की हुई किरकिरी सेंसेक्स ने लगाई छलांग 435 अंकों पर हुआ बंद