'वकीलों से दो अतिरिक्त मुलाकातों की अनुमति दीजिए..', केजरीवाल की याचिका पर दिल्ली HC का फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज गुरुवार (18 जुलाई) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने वकीलों से दो अतिरिक्त कानूनी मुलाकात की मांग की थी। उनकी याचिका का जेल अधिकारियों और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के वकीलों ने विरोध किया। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया।

केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता कोर्ट में पेश हुए। जेल अधिकारियों ने याचिका पर पहले ही जवाब दाखिल कर दिया है। उन्होंने कहा कि जेल नियम अतिरिक्त मुलाकात की अनुमति नहीं देता है। मुलाकात का प्रारूप शारीरिक से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश हुए अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने कहा कि आवेदन विचारणीय नहीं है, क्योंकि यह निष्फल हो गया है, क्योंकि आरोपी सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद अब ईडी की हिरासत में नहीं है। हालांकि, केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े सीबीआई मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। 

ED के वकील ने यह भी कहा कि जेल में सभी आरोपियों के साथ समान व्यवहार किया जाता है। सभी को केवल दो कानूनी मुलाकात की अनुमति दी गई है। दूसरी ओर, वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने दलीलों का विरोध किया और कहा कि उन्हें दो अतिरिक्त कानूनी मुलाकातें देने में कोई बुराई नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ED ने अन्य आरोपियों को दी गई सुविधा का विरोध नहीं किया। वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए और कहा कि आवेदक अपने वकील से अतिरिक्त कानूनी मुलाकातें मांग रहा है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। 

इससे पहले राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1 जुलाई को केजरीवाल को तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने वकीलों से दो अतिरिक्त मुलाकातें देने से मना कर दिया था। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने अरविंद केजरीवाल की ओर से दायर आवेदन को खारिज कर दिया था। उन्होंने जेल अधिकारियों को वीसी के जरिए अपने वकीलों से दो अतिरिक्त मुलाकातें देने के निर्देश देने के लिए आवेदन दायर किया था। विशेष जज ने कहा था कि, "आवेदक के विद्वान वकील अदालत को यह समझाने में विफल रहे हैं कि आवेदक उन्हीं आधारों पर VC के जरिए दो अतिरिक्त कानूनी मुलाकातों का हकदार कैसे है, जिन पर पहले के आदेश में चर्चा की गई है और निपटा गया है। विचाराधीन आवेदन की सामग्री के आधार पर अलग दृष्टिकोण अपनाने का कोई कारण नहीं दिखता है।" 

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