दुनिया का खूबसूरत देश ब्राजील में अमेजन के जंगलों में लगी आग का असर दो हजार किलोमीटर दूर स्थित ग्लेशियरों पर भी पड़ रहा है. एक नए अध्ययन में दक्षिण अमेरिका की एंडीज पर्वतमाला में भी इसका प्रभाव देखा गया है. शोधकर्ताओं के मुताबिक इसके कारण यहां ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे हैं. साइंटिफिक रिपोर्टस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि जंगलों में आगजनी से बायोमास जलने से बने एयरोसोल्स (ब्लैक कार्बन) को हवा अपने साथ एंडियन ग्लेशियरों तक ले जा रही है. PNB घोटाला: नीरव मोदी और कई अन्य को नया नोटिस जारी, 7000 करोड़ का कर्ज है बकाया अपने बयान में शोधकर्ताओं ने कहा, ‘ये एयरोसोल्स बर्फ पर जमा होते हैं और ग्लेशियरों के पिघलने की दर बढ़ा देते हैं. बर्फ की चादर पर ब्लैक कार्बन के कण गिरने से ग्लेशियरों चमक भी फीकी हो जाती है. इसे अल्बिडो रिड्यूशन कहा जाता है.’ब्राजील के रियो डी जेनेरियो स्टेट यूनिवर्सिटी के न्यूटन डी मैगलस नेटो और उनके सहयोगियों ने बोलिवियाई जोंगो ग्लेशियर पर अमेजन बेसिन के बायोमास के संभावित प्रभाव का एक मॉडल तैयार किया. इसके लिए उन्होंने वर्ष 2000 से 2016 तक आग लगने की घटनाओं, धुएं, वर्षा और ग्लेशियर के पिघलने की गति का अध्ययन कर जुटाए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया. संयुक्त राष्ट्र : भारत ने पाकिस्तान को लगाई फटकार, कहा-अयोध्या मामले में... आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस दौरान शोधकर्ताओं ने साल 2007 और 2010 के आंकड़ों का खास ध्यान रखा क्योंकि इस बीच अमेजन के बेसिन में आगजनी की सर्वाधिक घटनाएं हुई थीं. शोधकर्ताओं ने ब्लैक कार्बन के कारण ‘स्नो एल्बिडो रिड्यूशन’ की भी जांच की. इससे पहले तक बर्फ की चमक फीकी होने का कारण धूल के कणों को माना जाता था. उनके मॉडल से पता चला कि अकेले ब्लैक कार्बन और धूल के कारण सालाना ग्लेशियर के पिघलने की दर में तीन-चार फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना है और यदि इन दोनों कारकों का असर एकसाथ होता है तो बर्फ पिघलने की दर छह फीसद तक बढ़ जाती है. आतंकियों के मिसाइल हमले पर इजरायली सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब, इन ठिकानों को बनाया निशाना 70 साल पहले इस भारतीय वीर ने दिया था शौर्य का परिचय, अब मिलेगा दक्षिण कोरिया का सबसे बड़ा सम्मान जापान के पूर्व पीएम यासुहिरो नाकासोन का 101 वर्ष की आयु में दुखद निधन