दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा बनाए गए कृत्रिम द्वीप के पास बुधवार को एक अमरीकी युद्धपोत के पहुंचने को चीन के खिलाफ डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार अमेरिका से मिली चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. सूत्रों के अनुसार यूएसएस डिवी युद्धपोत चीन के कृत्रिम द्वीप से 12 नौटिकल मील की दूरी पर पहुंच गया था.जबकि चीन का कहना है कि अमरीकी युद्धपोत उसके जलक्षेत्र में बिना अनुमति के आ गया था इसलिए उसकी नौसेना ने तत्काल वहां से जाने की चेतावनी दी. उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने कहा कि वह किसी अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में किसी का पक्ष न लेते हुए विवादित द्विपों में सैन्य जहाज और लड़ाकू विमान भेजता रहा है.अमेरिका सागरों और हवाई क्षेत्रों में नौवाहनों की बेरोकटोक आवाजाही का समर्थन कर रणनीतिक जलक्षेत्रों में नौवाहनों की आवाजाही सीमित करने की आलोचना करता रहा है. जबकि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने अमेरिका के इस प्रयास की निंदा कर कहा कि अमेरिका के इस क़दम से चीन की संप्रभुता और सुरक्षा हितों को नुक़सान पहुंचा है इस घटना से हवाई या समुद्री हादसे को बढ़ावा मिलेगा. गौरतलब है कि चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. दूसरी तरफ़ अन्य देश भी दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर दावा करते हैं.जबसे चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य अड़्डा बनाया तब से विवादों को और हवा मिली है.चीन और अमेरिका एक दूसरे पर दक्षिण चीन सागर में सैन्यीकरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रहते हैं.इसी कारण दक्षिण चीन सागर का विवाद वैश्विक चिंता बन चुका है. यह भी देखें चीन बॉर्डर तक पहुंचना होगा आसान, PM मोदी असम में करेंगे सबसे लंबे पुल का उद्घाटन मैंचेस्टर की जानकारी अमेरिका द्वारा उजागर, ब्रिटेन ने जताई नाराजगी