ब्रह्मांड की जुटाई गई जानकारी के आधार पर अपने अध्ययनों से वैज्ञानिकों ने यह दावा किया हैं कि सौरमंडल के बाहर के ग्रहों, जिन्हें एक्सोप्लैनेट भी कहा जाता है, में जीवन की संभावना हो सकती है. वैज्ञानिकों ने ऐसी संभावना एक्सोप्लैनेट के उसके तारे से दूरी और अन्य गणनाओं के आधार पर जताई थी. अनुमान था कि उचित दूरी होने के कारण वहां पानी और रहने योग्य वातावरण मौजूद हो सकता है, लेकिन अब एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि वे सभी एक्सोप्लैनेट जो अपने तारों से उचित दूरी पर भी स्थित हैं, उन सभी में जीवन की संभावना मुश्किल हो सकती है. BWF विश्व टूर फाइनल्स: मोमोता ने 11वीं जीत और इस खिलाड़ी ने सातवीं ट्रॉफी के साथ किया सत्र का अंत आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अमेरिका में न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि ये एक्सोप्लैनेट अपने तारे से निकलने वाले विकरण (फ्लेयर) के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं. उन्होंने बताया कि जब तक किसी एक्सोप्लैनेट में चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडलीय दबाव नहीं मौजूद है वहां रहने योग्य स्थितियां नहीं मौजूद हो सकती हैं. ‘रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी लेटर्स’ में प्रकाशित अध्ययन में पता चला है कि तारों से निकलने वाली फ्लेयर एक्सोप्लैनेट को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है. इससे केवल ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडलीय दबाव ही बचा सकता है. लाहौर हाईकोर्ट ने विद्रोहात्मक मामले में लगाई रोक, मुशर्रफ को राहत इसके अलावा न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के दमित्रा अत्री ने कहा कि जैसे ही हम किसी एक्सोप्लैनेट का पता लगाते हैं और उसमें जीवन की संभावना ढूंढते हैं तो सबसे पहले हमें चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडलीय दबाव का पता लगाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में वैज्ञानिकों को और अधिक समझ विकसित करने की जरूरत है. एक्सोप्लैनेट में चुंबकीय क्षेत्र, वायुमंडलीय दबाव, तारों से दूरी और अन्य कारकों का बारीकी से अध्ययन कर यह पता लगाया जा सकता है वहां जीवन की संभावना है या नहीं. सीए प्रोटेस्ट: तिलमिलाया पाक भारत के खिलाफ संसद में दोष प्रस्ताव पारित कार में एयर फ्रेशनर छिड़कना पड़ा भारी, जाने फिर क्या हुआ... पकिस्तान के पूर्व सीएम नहीं जा सकते लंदन, जानें क्या है पूरी वजह