हिंद महासागर में तीन शक्तिशाली देश हुए एकजुट, अमेरिका के लिए बड़ी मुश्किल

दुनिया को अपनी ताकत दिखाने के लिए अमेरिका के तीन बड़े विरोधी एक साथ सैन्‍य अभ्‍यास करने वाले हैं. ये तीन विरोधी ईरान, चीन और रूस है. अमेरिका से इन तीनों का ही छत्तीस का आंकड़ा है. ईरान को लेकर तो अमेरिका इस कदर आक्रामक हो गया था कि परमाणु संधि से अलग होने के बाद उसने ओमान की खाड़ी में अपने नौ सेना के बेड़े को ही तैनात कर दिया था. इस बेड़े में एयरक्राफ्ट कैरियर भी शामिल था.वहीं, यदि रूस की बात करें तो अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में सेंध से लेकर अपने जासूस पर जानलेवा हमला और फिर सीरिया के मोर्चे पर दोनों में अलगाव है. इसके अलावा चीन से ट्रेड वार से लेकर कई अन्‍य मुद्दों पर उसका अलगाव है. सैन्‍य अभ्‍यास के लिए इन तीन देशों का साथ आना अपने आप में अमेरिका के लिए एक संदेश भी है.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन तीन देशोंं के बीच होने वाला ये सैन्‍य अभ्‍यास पहली बार हो रहा है. यह पश्चिमी देशों को अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए किया जा रहा है. ईरान के एडमिरल हुसैन खनजादी के मुताबिक, इन तीन देशों की नौसेना ये अभ्‍यास हिंद महासागर के पूर्व में करने वाली हैं. उनके मुताबिक, इसकी प्‍लानिंग पिछले माह ही की गई थी और अब सभी देशों की सेनाएं इसकी तैयारी में जुट चुकी हैं।डेली मेल ने मेडर न्‍यूज एजेंसी का हवाला देते हुए कहा है कि खनजादी इस संयुक्‍त अभ्‍यास को अन्‍य देशों के लिए एक संदेश मानते हैं. उनके ईरान का रूस और चीन के करीब जाना इस क्षेत्र की समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करता है. खनजादी का कहना है कि इन देशों द्वारा जमीन, हवा और समुद्र में किया जाने वाला सैन्‍य अभ्‍यास इन देशों के बीच बढ़ते गठजोड़ को भी दर्शाता है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस माह सऊदी के दो ऑयल टैंकरों को नुकसान पहुंचाने के लिए भी ईरान को ही दोषी ठहराया गया था. इसको लेकर भी अमेरिका से ईरान की तनातनी चली थी. इसके अलावा ईरान ने जब ब्रिटेन के एक जहाज को अपने यहां पर सुरक्षा के मद्देनजर रोक लिया था तो इसके एवज में ब्रिटेन ने भी ईरान के जहाज को जिब्राल्‍टर में रोक दिया था. इस मुद्दे पर अमेरिका और ब्रिटेन के साथ आने से मध्‍य एशिया में लगातार तनाव बना रहा था. 

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