तालिबान को उखाड़ फेंकने में नाकाम रहा है अमेरिका, अब भी आधा अफ़ग़ानिस्तान आतंकियों के कब्जे में

काबुल: आज से 17 साल पहले आतंकवाद का सफाया करके जिस अमन और शांति को स्थापित करने के जिस मकसद से अमेरिका ने अफगानिस्तान पर मित्र देशों के साथ हमला किया था, उसका वह मकसद पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है. बुधवार की रात को अफगानिस्तान के पश्चिमी फराह प्रांत के जिला खकी सफेड में स्थित पुलिस चौकी पर हमला कर तालिबान के आतंकियों ने 30 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. आलम ये है कि वर्ष 2004 से लेकर अब तक अमेरिका ने अफगानिस्‍तान में मौजूद तालिबान को ख़त्म करने के लिए वहां 38409 बम गिराए हैं, इसके बाद भी अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सक्रीय है. 

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इस साल सितम्बर तक तालिबान के खात्मे के लिए अमेरिका और उसकी सहायक सेनाओं ने 5213 बम मारे, यह अब तक हुई बमवर्षा की सर्वाधिक संख्या है. इससे पहले 2010 में सर्वाधिक 5101 बम गिराए गए थे. वहीं इसके बाद भी तालिबानी हमलों मे इसी साल अफ़ग़ान के 711 जवान और 1271 नागरिक मारे गए हैं. ओबामा का राष्ट्रपति काल समाप्त होने के बाद से बम बरसाने की संख्या कम हुई है, लेकिन पिछले अगस्त में राष्ट्रपति ट्रंप ने नई अफगान रणनीति के तहत ज्यादा सैनिकों को तैनाती कर दी थी, जिसके बाद से बमवर्षा भी अधिक हो गई है.

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उल्लेखनीय है कि अमेरिका द्वारा लड़ा गया वियतनाम युद्ध इतिहास का सबसे लंबा युद्ध है, लेकिन जिस तरह से अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में उलझा हुआ है, उससे लगता है कि यह उसका सबसे लंबा युद्ध बन जाएगा. वर्तमान में अफगानिस्तान में 14 हजार अमेरिकी जवान मौजूद हैं. लेकिन फिर भी तालिबान का दमन नहीं किया जा सका है, एक बार फिर तालिबान ने पलटवार करते हुए आधे अफगानिस्तान को अपने के में कर लिया है. 

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