भारत के जम्मू कश्मीर राज्य के मेंढर में पाकिस्तान ने भारतीय पोस्ट की ओर राॅकेट लाॅन्चर से हमला कर दिया और गोलियां बरसाईं। ऐसे में भारतीय सैनिकों के शहीद होने की जानकारी लोगों को मिली। भारतीय सीमाओं पर इस तरह के हमले होते हैं आमतौर पर आतंकी हमले भारतीय सेना पर होते हैं लेकिन इस बार पाकिस्तान की ओर से हमला किया गया था। इसे सीज़फायर उल्लंघन कहा गया। पाकिस्तान इतने पर ही नहीं रूका उसने भारतीय सेना के शहीद हुए एक सैन्यकर्मी और सीमा सुरक्षा बल के सुरक्षाकर्मी के शवों के साथ बर्बर व्यवहार किया। इस हमले की आड़ में घुसपैठिये आतंकी अपने कदम आगे बढ़ाते चले गए और अब खुफिया जानकारी सामने आ रही है कि बड़े पैमाने पर आतंकी घुसपैठ की गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं। वैश्विक आतंकवाद के दौर में भारत आतंकवाद की त्रासदी झेल रहा है। वैश्विक स्तर पर सभी यह जानते हैं कि भारत में प्रायोजित इस्लामिक आतंकवाद को पाकिस्तान समर्थन देता रहा है। कश्मीर के विवाद की बात कहकर छद्मरूप से हमले करना और सारा दोष भारत पर मढ़ देना यह खेल पाकिस्तान खेलता रहा है। मगर वैश्विक समुदाय को आश्चर्य तब होता है जब पाकिस्तान अमेरिका द्वारा दबाव डालने के बाद भी अफगानिस्तान और अमेरिका से बैर रखने वाले कथित हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों की सहायता करता है उन्हें अपने यहां प्रश्रय देता है। इसका असर पाकिस्तान पर प्रतिकूल पड़ रहा है। हालांकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की निंदा की थी और इसके चलते पाकिस्तान को अमेरिका ने सैन्य व आर्थिक मदद देना कम कर दिया था। मगर अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा चेताने की प्रक्रिया कुछ धीमी हो गई है। ऐसा भी नहीं है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को आतंक के प्रति चेताया नहीं है। अपने कार्यकाल की शुरूआत में आतंकवाद के खिलाफ उन्होंने हंुकार भरी थी लेकिन अब जब पाकिस्तान ने भारत के सीमा क्षेत्रों में कायरतापूर्ण हमला किया है तब विश्व की यह शक्ति मौन है। आखिर इसके क्या कारण हैं। इस बात में दो राय नहीं है कि पाकिस्तान आतंकवाद के एक वैश्विक पनाहगाह के तौर पर जाना जा रहा है। ऐसे में खुले तौर पर कोई भी उसका समर्थन नहीं कर रहा। ऐसे में संभावना है कि आने वाले समय में पाकिस्तान को इस्लामिक आतंकवाद को प्रश्रय देने के कारण अमेरिका द्वारा की जाने वाली कार्यवाही का सामना करना पड़ जाए। मगर अमेरिका स्वयं वैश्विक मसलों पर उलझा है। दक्षिण चीन सागर और हथियारों के परीक्षण के मामले में उत्तर कोरिया से उसकी सीधी टकराहट हो रही है। संभावना है कि वह नहीं चाहता कि उत्तर कोरिया के मामले में उसके आंशिक समर्थन में आया चीन पाकिस्तान का विरोध करने से उससे छिटक जाए। दूसरी ओर उसे अपनी सैन्य शक्ति को सीरिया में चल रही आतंक के विरूद्ध युद्ध, दक्षिण चीन सागर और भविष्य में रूस की चुनौतियों के विरूद्ध लगानी होगी। अमेरिका के सैनिक लंबे सैन्य अभियानों से कुछ थके हुए हों ऐसी भी संभावना है ऐसे में अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ त्वरित प्रतिक्रिया तो संभव नहीं है लेकिन जो इस्लामिक आतंकवाद योरप समेत अमेरिका के अस्तित्व पर खतरा बन रहा हो और सभी जानते हों कि इसकी जड़ें पाकिस्तान में मौजूद हैं ऐसे में पाकिस्तान पर कार्रवाई किए बिना अमेरिका रहे ऐसा बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है। मगर अमेरिका के सामने आतंरिक और वैश्विक कई चुनौतियां हैं जिसके कारण वह त्वरित कार्रवाई से बचना चाहता है। उत्तर कोरिया के विरूद्ध बजा युद्ध का बिगुल हक्कानी नेटवर्क का उपयोग अफगानिस्तान और भारत के खिलाफ कर रहा पाकिस्तान उत्तर कोरिया को लेकर अमेरिका ने की चीन की सराहना