वाशिंटन : अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री फ्रेंक बोरमैन ने हाल ही में एक बेहद ही अहम और बड़ा खुलासा किया है. इस बात की जानकारी उन्होंने पूरे 50 साल बाद दी है. अमेरिका चाँद पर पहुँच चुका है ये तो सभी जानते हैं लेकिन ये किस स्थिति में चाँद पर पहुंचे इसके बार में अंतरिक्ष यात्री ने खुलासा किया है. अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री फ्रेंक बोरमैन का कहना है कि अमेरिका का इरादा चाँद पर पहुंचना नहीं बल्कि उस समय रूस यानी तत्कालीन सोवियत संघ से आगे निकलने का था. इसी दौड़ में वो आगे निकल गए और चाँद पर मानव को उतार दिया. मंगल के बाद बृहस्पति पर मिले पानी होने के संकेत तत्कालीन सोविय संघ (रूस) ने 1961 में पहली बार मानव (यूरी गागरिन) को अंतरिक्ष भेजा था. इसी के बाद अंतरिक्ष में रूसी यान के आठ साल बाद अमेरिका ने इस चुनौती को मानते हुए साल 1969 में अपोलो -11 मिशन से मानव को चाँद पर भेजा. अमेरिका का अपोलो मिशन 1961 से शुरू हुआ था जो साल 1972 तक चला. बोरमैन अपोलो-8 के मिशन का हिस्सा थे जिन्होंने बताया कि केवल 30 सेकेंड के लिए अंतरिक्ष जाना रोमांचक था लेकिन उसके बाद वो बोर होने लगे थे. दोनों ही देशों में तेज़ी से दौड़ लग रही थी और अमेरिका ने चांद पर मानव को उतारने के प्रयास तेज कर दिए. अब मंगल पर पहाड़ों की खोज करेगा नासा अंतरिक्ष में जाना अहम और रोमांचकारी होता है उतनी ही जल्दी आपको वहां से आने की भी होती है, क्योंकि आप अपने अपने परिजनों से सम्पर्क में नहीं रहते. फ्रेंक बोरमैन ने बताया जब वो घर आ गए तो उन्होंने अपने परिवार इस बारे में कभी कोई बात नहीं की. जानकारी देते हुए बताया कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में यात्रा करना अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि चांद की परिक्रमा करते हुए बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई दे रहे थे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि धरती से चाँद बेहद ही सुंदर दिखाई देता है लेकिन वहां जाने पर आपको सुंदरता जैसी कोई चीज़ नहीं दिखाई देगी. खबरें और भी.. पहली बार अंतरिक्ष यात्री ने नासा से दिया इस्तीफा चाँद पर मौजूद है बर्फ, नासा ने की पुष्टि