ह्यूस्टन: आज के समय में बीमारी हो या कोई आपदा दोनों ही मानव जीवन पर संकट बन ही जाती है. जिसमे से एक है कोरोना वायरस यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका अभी तक कोई तोड़ नहीं मिल पाया है. वहीं इस वायरस की चपेट में आने से 114000 से अधिक मौते हो चुकी है, जबकि लाखों लोग इस वायरस से संक्रमित हुए है. ऐसे में वैज्ञानिकों के लिए यह कहना जरा मुश्किल सा है कि इस बीमारी से कब तक निजात मिल पाएगा. वहीं कोरोना वायरस की वजह से दूसरे देशों में पढ़ रहे छात्रों को सबसे ज्यादा मुसिबत का सामना करना पड़ रहा है. इसको देखते हुए यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन ने महामारी के कारण वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे छात्रों की सहायता के लिए अपना इमरजेंसी फंड फिर से शुरू किया है. यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन में कई भारतीय छात्र भी पढ़ रहे हैं. इमरजेंसी फंड का के तहत स्कूल-संबंधित लागतों के लिए योग्य छात्रों के समर्थन के तौर पर 1,500 अमरीकी डालर दिया जाता है ताकि इस महामारी के समय उन्हें वित्तीय कठिनाई के बावजूद एडमिशन में कोई दिक्कत न हो. यूनिवर्सिटी को पांच लाख अमेरिका डॉलर के जुटाने की उम्मीद है. भारतीय अमेरिकी अध्यक्ष रेणु खातोर ने कहा कि हमारे कई छात्र इस अभूतपूर्व सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के दौरान संघर्ष कर रहे हैं. हमसब मिलकर एक साथ इन बाधाओं को पार करेंगे. उन्होंने कहा कि यह वित्तीय गिरावट किसी के भी नियंत्रण से बाहर है. मुझे उम्मीद है कि इमरजेंसी फंड का पैसा हमारे छात्रों को उनकी कुछ वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा ताकि वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें. अमेरिका और जापना में कोरोना से बिगड़े हाल, जिंदगी जीना हुआ हराम 3 हफ़्तों बाद इटली को मिली मौत से राहत, लेकिन ईरान में नहीं बदले हालात एक तरफा घटा इटली में मौत का आंकड़ा तो दूसरी तरफ यूएई ने दी खतरे की चेतावनी